सबरीमाला : सबरीमाला मंदिर से महज एक किलोमीटर की दूरी पर केरल की दो महिलाओं को हजारों प्रदर्शनकारियों द्वारा रोक दिया गया जिसके बाद तनाव बढ़ता देख पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा।
इस घटना से एक दिन पहले ही तमिलनाडु की 11 महिलाओं के एक समूह को पारंपरिक अयप्पा भक्तों के उग्र प्रदर्शन के कारण वापस भेज दिया गया था।
विवाद उस समय शुरू हुआ जब सोमवार तड़के पुलिस के साथ आई दोनों महिला श्रद्धालुओं को गुस्साई भीड़ ने दर्शन करने के लिए आगे बढ़ने से रोका, जिसके बाद पुलिस की गुस्साए अयप्पा भक्तों के साथ झड़प हो गई।
पुलिस को कन्नूर की कनक दुर्गा और मल्लपुरम की बिंदू को गुस्साए अयप्पा भक्तों से बचाने के लिए लाठीचार्ज का सहारा लेना पड़ा। इस दौरान भक्त नारे लगा रहे थे और महिलाओं की ओर आगे बढ़ रहे थे।
पुलिस टीम के 100 कर्मियों ने दोनों महिलाओं को कुछ आगे बढ़ाया लेकिन सुबह आठ बजे से वे वहीं पर अटकी हैं क्योंकि अयप्पा के भजन गाते और नारों लगाते हुए एक हजार से अधिक तीर्थयात्री मानव दीवार बनाकर उन्हें आगे बढ़ने से रोकने के लिए डटे हुए हैं।
पुलिस फिलहाल महिलाओं के चारों ओर सुरक्षा कवच बनाए उन्हें आगे बढ़ाने के लिए और अधिक पुलिस बल के आने का इंतजार कर रही है।
एक वकील बिंदू ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सबरीमाला के तंत्री सर्वोच्च अदालत से ऊपर नहीं हैं।
उन्होंने कहा, “मैं मंदिर में प्रार्थना करना चाहती हूं और मुझे नहीं लगता कि तंत्रियों का नियम कानून से ऊपर है।”
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 28 सितंबर को हर आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति देने का फैसला किए जाने के बाद से सबरीमाला में हिंदू समूहों द्वारा लगातार इस फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है।
सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद से इस खास आयु वर्ग की करीब तीन दर्जन महिलाएं पहले ही मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश कर चुकी हैं लेकिन श्रद्धालुओं के विरोध के चलते वे मंदिर जाने में विफल रही हैं।
–आईएएनएस
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