नई दिल्ली| उद्योगपति और टाटा ग्रुप के पूर्व अध्यक्ष साइरस मिस्त्री, जिनकी रविवार को महाराष्ट्र के पालघर में एक कार दुर्घटना में मौत हो गई, 2012 में 44 साल की उम्र में टाटा संस के अध्यक्ष बने थे, लेकिन लंबे समय तक नहीं टिक सके। मिस्त्री रतन टाटा के बाद टाटा संस के छठे अध्यक्ष थे। उन्हें अक्टूबर 2016 में पद से हटा दिया गया।
वह शापूरजी पल्लोनजी समूह के प्रमुख पल्लोनजी मिस्त्री के छोटे बेटे थे, जो कई तरह के व्यवसायों का एक समूह है, जिसे 19वीं शताब्दी में पल्लोनजी मिस्त्री के दादा ने शुरू की थी।
पल्लोनजी मिस्त्री का इस साल जून में 93 साल की उम्र में निधन हो गया था।
1968 में पैदा हुए मिस्त्री ने लंदन के इंपीरियल कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और फिर लंदन बिजनेस स्कूल से मैनेजमेंट में मास्टर डिग्री हासिल की।
उन्होंने 1991 में पारिवारिक व्यवसाय में प्रवेश किया और शापूरजी पलोनजी एंड कंपनी लिमिटेड के निदेशक बने।
साइरस मिस्त्री ने 2006 में अपनी सेवानिवृत्ति के बाद टाटा समूह के बोर्ड में अपने पिता का स्थान ग्रहण किया। वह शापूरजी पल्लोनजी समूह के साथ अपनी जिम्मेदारियों को संभालने के अलावा कई टाटा कंपनियों के निदेशक भी बने।
वह 2011 में टाटा समूह के डिप्टी चेयरमैन बने और फिर 2012 में रतन टाटा की सेवानिवृत्ति के बाद चेयरमैन बने।
साइरस मिस्त्री टाटा समूह का नेतृत्व करने वाले पहले गैर-भारतीय थे। उनके पास आयरलैंड का पासपोर्ट था।
उनके और टाटा परिवार के बीच ग्रुप चलाने को लेकर मतभेद पैदा होने के बाद ग्रुप के चेयरमैन के रूप में उनका कार्यकाल 2016 में अचानक समाप्त हो गया।
साइरस मिस्त्री ने बोर्ड से हटाने को लेकर कोर्ट में चुनौती दी लेकिन 2018 में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया। हालांकि 2019 में नेशनल कंपनी लॉ एपीलेट ट्रिब्यूनल ने उस फैसले को पलट दिया।
फिर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने मिस्त्री की बर्खास्तगी को बरकरार रखा।
–आईएएनएस
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