नई दिल्ली | “जो लोग लॉकडाउन में राजधानी की सूनी सड़कों पर बेइंतहा रफ्तार में वाहन दौड़ा रहे हैं, वे अपनी गलतफहमियां तुरंत दूर कर लें कि, दिल्ली ट्रैफिक पुलिस सो रही है। इस श्रेणी के लोग खुद के साथ-साथ दूसरों के लिए भी मुसीबत बनते हैं। दिल्ली ट्रैफिक पुलिस लॉकडाउन में आंखें बंद किये बैठी होती तो फिर, 30-35 दिन में पांच लाख 7 हजार चालान कैसे कट जाते? वो भी सबके सब ‘ओवर-स्पीड’ के। लॉकडाउन में दिल्ली की सड़कों पर ट्रैफिक-पुलिस की ‘फिजिकल-विजिविलिटी’ कम दिखाई दे सकती है, हालांकि ऐसा भी है नहीं। ट्रैफिक फोर्स बार्डर और पुलिस पिकेट्स पर दिन रात जुटा है। हमारी ‘थर्ड-आई’ एक लम्हा भी झपके बिना मुस्तैदी से ड्यूटी दे रही है।”
इन तमाम तथ्यों का खुलासा हिंदुस्तान के वरिष्ठ आईपीएस (अग्मूटी कैडर) अधिकारी ताज हसन ने किया। ताज हसन मौजूदा वक्त में दिल्ली पुलिस में स्पेशल कमिश्नर (ट्रैफिक) हैं। उन्होंने गुरुवार को आईएएनएस से विशेष बातचीत की। दिल्ली के विशेष पुलिस आयुक्त (यातायात) ने ऊपर उल्लिखित चेतावनी उन चालकों को दी जो, लॉकडाउन के दौरान राजधानी की सड़कों को सूना मानकर अंधाधुंध गति से वाहन दौड़ाते पकड़े गये।
ताज हसन ने आईएएनएस को दिये विशेष इंटरव्यू में कहा, “दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने उन स्थानों पर जहां, वाहनों की रफ्तार निर्धारित सीमा से बाहर (ऊपर) बढ़ाये जाने की आशंका रहती है, 100 से ज्यादा ‘स्पीड डिटेक्टिंग कैमरे’ लगा रखे हैं। यह कैमरे दिन-रात अपना काम करते हैं। इन कैमरों को बाकायदा हर लम्हा ट्रैफिक पुलिस, कंट्रोल रुम से मॉनिटर करती है। कैमरे से मिली फुटेज के आधार पर हम तुरंत ऑनलाइन या फिर मोबाइल पर चालान भेजते हैं।”
विशेष पुलिस आयुक्त (यातायात) ताज हसन ने आगे कहा, “दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के पास 2500 से 3000 हजार बल है। इस बल में से अधिकांश दौरान-ए-लॉकडाउन दिल्ली की सीमाओं पर तैनात कर दिया गया है। बाकी जो बचा उसे सिविल पुलिस के साथ बैरीकेट्स/पिकेट्स ड्यूटी पर तैनात कर दिया गया है। चूंकि अभी (लॉकडाउन में) दिल्ली की सड़कों पर भीड़-भाड़ न के बराबर है। ऐसे में हमने राजधानी के मुख्य मार्गो, मसलन आउटर रिंग रोड आदि पर मौजूद ‘रेड-लाइट्स’ का वक्त भी जलने बुझने का 50 फीसदी कम कर दिया है। दिल्ली के अंदरुनी हिस्सों में स्थापित लाल-बत्तियों में से अधिकांश को ‘ब्लिंक’ पर डाल दिया है। ताकि बे-वजह ही वाहन चालकों को चौराहों पर खड़े होकर वक्त जाया न करना पड़े।”
आईएएनएस द्वारा पूछे गये एक सवाल के जबाब में ताज हसन ने कहा, “कोरोना की कमर तोड़ने की जद्दोजहद में जुटे पुलिसकर्मियों की भी सेहत का ध्यान रखना बेहद जरुरी है। इसलिए हाल फिलहाल जब तक लॉकडाउन है, तब तक के लिए मैंने ‘ड्रंकन-ड्राइविंग’ जांच पर अस्थाई प्रतिबंध लगा रखा है। चूंकि शराब पीकर वाहन चलाने वाले चालकों को दबोचने के लिए ट्रैफिक पुलिसकर्मी का उनके बेहद करीब पहुंचना जरुरी होता है। इससे ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ पर बेहद प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की प्रबल संभावनाएं रहती हैं।”
ताज हसन के मुताबिक, “दिल्ली की सड़कों पर अंधाधुंध स्पीड में वाहन चलाने की हिमाकत करने वालों के, लॉकडाउन से ठीक पहले के दस दिनों में (14 मार्च 2020 से 24 मार्च 2020) 5 लाख 11 हजार चालान काटे गये थे। यह सब चालान ‘ओवर स्पीड लिमिट’ के थे। सब के सब चालान कैमरों में पकड़ी गयी स्पीड लिमिट के आधार पर कटे थे। लॉकडाउन के करीब एक महीने में (24 मार्च 2020 से 26 अप्रैल 2020 तक) 5 लाख 7 हजार लोगों के ओवर स्पीडिंग चालान कटे। यह सब चालान भी दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने ओवर स्पीडिंग कैमरो द्वारा पकड़े जाने पर ही काटे।”
दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के स्पेशल कमिश्नर ने माना कि, “लॉकडाउन की अब तक की अवधि में दिल्ली की सड़कों पर 13 लोगों की घातक हादसों में मौत हो चुकी है। जबकि महाबंद से पहले यानि 1 मार्च से 24 मार्च 2020 (एक महीना) के बीच राजधानी में हुए सड़क हादसों में मरने वालों की संख्या 44 थी।”
उन्होंने आगे कहा, “फिलहाल कोरोना के बाद जो विपरीत और कठिन हालात सामने आये हैं, उनमें हम तकरीबन बहुत हद तक (दिल्ली ट्रैफिक पुलिस) इलैक्ट्रॉनिक सिस्टम पर आ चुके हैं। यही वजह है कि, जिन तेज रफ्तार वाहन चालकों को दिल्ली की सड़कें ट्रैफिक पुलिस से फ्री लग रही हैं, उनकी स्पीड कम कराने में, हमारी ‘तीसरी-आँख’ यानि ओवर स्पीड कैचिंग कैमरे बेहद कारगर साबित हो रहे हैं।”
आईएएनएस के एक सवाल का जबाब देते हुए स्पेशल पुलिस कमिश्नर (ट्रैफिक) ताज हसन बोले, “नहीं, आपात स्थिति में छूट सिर्फ और सिर्फ उन्हीं को मिलेगी जिन कैटेगरी का उल्लेख मोटर व्हीकल एक्ट में मौजूद है। लॉकडाउन में एसेंसियल पार्ट का हम ख्याल रख रहे हैं। एसेंसियल फैसिलिटी का मतलब यह नहीं है कि, जल्दी पहुंचने की उम्मीद में सुनसान सड़कें देख-समझकर तय रफ्तार से ऊपर अपना वाहन दौड़ाना शुरू कर देगा।”
ताज हसन के मुताबिक, “देश की किसी भी राज्य की ट्रैफिक पुलिस की चालान मशीनों या फिर ओवर स्पीड कैचिंग कैमरों में ऐसी कोई तकनीक नहीं है, जिसके बलबूते यह तय हो सके कि, तेज रफ्तार कार चला रहा शख्स किस प्रोफेशन से जुड़ा है? ऐसे किसी नियम का उल्लेख मोटर व्हीकल एक्ट में भी नहीं है।”
–आईएएनएस
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