नई दिल्ली: भाजपा राष्ट्रीय मंत्री व पूर्वी दिल्ली सांसद महेश गिरी ने आज संसद में शून्यकाल के दौरान सर्जरी द्वारा प्रसव की संख्या में हो रही बढ़ोतरी का मामला उठाया।
महेश गिरी ने सबसे पहले प्रधानमंत्री द्वारा बनाई गई दिशा कमेटी के लिए उनका धन्यवाद दिया और कहा कि दिशा समिति द्वारा राज्य और जिले स्तर पर बनाई गई कल्याणकारी योजना व अन्यों की यथास्थिति का पता चलता है।
सासंद महेश गिरी ने सदन में सर्जरी द्वारा किए जा रहे प्रसव में हो रही बढ़ोतरी का मामला उठाते हुए बताया है यह एक गंभीर मामला है, जो कतई भी गरीब व मध्ययम वर्गीय लोगों के लिए हितकारी नहीं है। सासंद ने कहा कि नेशनल फॅमिली हेल्थ सर्वे छथ्भ्ै (2014 -2015) के आकड़ो के अनुसार हमारे देश में पिछले दशक में सर्जरी द्वारा प्रसव की संख्या में २ गुना वृद्धि हुई है। जबकि यदि पिछले दो दशकों की बात की जाए तो यह संख्या 6 गुना तक बढ़ी है। मुख्य रूप से तेलंगाना, त्रिपुरा, आंध्र प्रदेश,केरल, पश्चिम बंगाल,गोवा, तमिलनाडु आदि राज्यों में बढ़ी यह संख्या चिंतनीय विषय है।
सांसद ने बताया कि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता की सर्जरी द्वारा प्रसव एक जीवन-दायिनी तकनीक है और काफी सारे मौको पर केवल सर्जरी द्वारा प्रसव ही एकमात्र उपाय होता है। किन्तु यदि आकड़ो पर नजर डाली जाए डाली जाए तो यह प्रतीत होता है होता है कि कुछ निजी अस्पताल लाभ हेतु महिला के स्वास्थ्य से ज़्यादा उसकी परिवार की आर्थिक स्थिति के आधार पर सर्जरी द्वारा प्रसव को चुनते है। छथ्भ्ै-4 के अनुसार प्राइवेट अस्पतालों में यह संख्या लगभग 35 प्रतिशत जो सरकारी अस्पतालों के मुकाबले काफी ज़्यादा है।
महेश गिरी ने कहा कि विश्व स्वस्थ्य संगठन के अनुसार एक देश में 10-15 प्रतिशत प्रसव के मामले सर्जरी द्वारा होना ठीक है। परन्तु भारत में 2010 के 8.5 प्रतिशत से अत्यधिक बृद्धि हुई है। उन्होंने उदाहरणार्थ बताया कि ग्रामीण क्षेत्रो में यह प्रतिशत लगभग 12.9 प्रतिशत है किन्तु शहरी क्षेत्रो में यह बढ़कर 28.3 प्रतिशत के आसपास है जो चिंताजनक है।
सांसद ने सदन से निवेदन किया कि सर्जरी द्वारा प्रसव के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव भी होते है तथा आवश्यक है की इस विषय पर गंभीरता से ध्यान दिया जाए दिया जाए। जहाँ आवश्यक हो केवल वहीँ सर्जरी द्वारा प्रसव किया जाए, ना की आर्थिक लाभ के लिए अनावश्यक रूप से।
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