नई दिल्ली: फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने रविवार को 2022 तक वैश्विक सौर ऊर्जा पीढ़ी के लिए अतिरिक्त 70 करोड़ यूरो के निवेश की घोषणा की, ताकि जीवाश्म ईंधन के उपयोग को कम और जलवायु परिवर्तन से सामना करने में मदद की जा सके। पहले अंतर्राष्ट्रीय सौर ऊर्जा गठबंधन (आईएसए) के लॉन्च पर मैक्रों ने ‘एक ऐसे ग्रह के लिए जिसे सभी को साझा करना है, संयुक्त रूप से कर्तव्यों के पालन का’ आह्वान किया। उन्होंने 2015 पेरिस जलवायु समझौते से बाहर होने के लिए अपने अमेरिकी समकक्ष डोनाल्ड ट्रंप पर भी निशाना साधा।
मैक्रों ने कहा कि 2030 तक एक हजार गीगावॉट सौर ऊर्जा का उत्पादन कर स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग में क्रांतिकारी परिवर्तन लाना पेरिस समझौते का एक परिणाम था लेकिन कुछ ने मंच छोड़ दिया पर अन्य ने कदम उठाने का फैसला किया और कदम उठाना जारी रखेंगे।
राष्ट्रपति भवन में 23 देशों के प्रमुखों और 10 मंत्रीस्तरीय प्रतिनिधियों की मौजूदगी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मैक्रों ने पहले आईएसए सम्मेलन की सह-मेजबानी की।
यहां मौजूद गणमान्य व्यक्तियों में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस, वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो और बांग्लादेश के राष्ट्रपति अब्दुल हामिद शामिल रहे।
मैक्रों ने कहा, “फ्रांस विकास एजेंसी, सौर ऊर्जा के लिए अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप 2022 तक अतिरिक्ति 70 करोड़ यूरो का आवंटन करेगी।”
मैक्रों ने कहा कि इसमें फ्रांस की कुल 100 करोड़ यूरो की प्रतिबद्धता शामिल है।
उन्होंने कहा, “2015 में, हमने कहा था कि हम सदस्य देशों में परियोजना को समर्थन देने के लिए 30 करोड़ यूरो का आवंटन करेंगे। फ्रांस का यह वादा कुछ महीनों पहले ही पूरा हुआ है।”
आईएसए के 121 सदस्यों में से 60 ने संधि पर हस्ताक्षर किए हैं और करीब 30 राष्ट्रों ने इसे मंजूर किया है।
सौर ऊर्जा संपन्न देशों के गठबंधन की शुरुआत मोदी और फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वां अोलांद द्वारा प्रसिद्ध 2015 पेरिस जलवायु वार्ता से इतर की गई थी।
राष्ट्रपति ट्रंप का नाम लिए बगैर मैक्रों ने दिल्ली सम्मेलन में कहा कि कुछ ने जलवायु समझौता छोड़ दिया जबकि अन्य बने हुए हैं क्योंकि वह अपने बच्चों और उनके बच्चों की भलाई चाहते हैं।
उन्होंने कहा, “हम सभी ने ग्लोबल वार्मिग का अनुभव किया है। आप में से कुछ ने अपने इलाकों, अर्थव्यवस्था और नागरिकों की जिंदगियों को गंवाया है।”
मैक्रों ने कहा, “हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हमारे पास एक ही ग्रह है और हमें इसे साझा करना है और हमारे पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है। यह एक संयुक्त नियति है जिसका मतलब है कि हम सभी के पास संयुक्त कर्तव्य है।”
उन्होंने कहा, “जलवायु न्याय की विचारधारा के बिना कोई पेरिस समझौता नहीं हो सकता।”
फ्रांस के राष्ट्रपति ने चिन्हित किया कि दो कटिबंधों के बीच बसे देशों में दुनिया की तीन-चौथाई आबादी निवास करती है जिसके पास अगले पांच साल में सौर ऊर्जा की 138 गीगावॉट की क्षमता होगी।
उन्होंने कहा कि लेकिन 50 से 60 फीसदी लोग ही बिजली का प्रयोग करने में सक्षम हैं।
मैक्रों ने कहा कि प्रत्येक देश में परियोजनाओं को पहचानने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, “प्रत्येक देश के पास अपनी सौर ऊर्जा क्षमता है, वहां उनकी जरूरतों और उन्हें कितने फाइनेंस की जरूरत है, यह पहचानने की जरूरत है। 36 सदस्य देशों द्वारा 100 परियोजनाओं को सूचीबद्ध किया जा चुका है।”
आईएसए के तहत, लक्ष्य को पाने के लिए एलायंस देशों में उत्कृष्टता के 100 केंद्रों पर 10 हजार तकनीशियनों को प्रशिक्षित किया जाएगा।
फ्रांस के राष्ट्रपति ने किफायती कम कीमत वाले सौर समाधान पर भी जोर दिया और कहा कि एलायंस एक ऐसी जगह हो सकता है, जहां प्रौद्योगिकी लोगों और देश की उम्मीदों को पूरा कर सकती है।
–आईएएनएस
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