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मैं बज़र बजाने वाला खुशमिजाज इंसान हूंः शान

 

प्रेमबाबू शर्मा, 
एंड टीवी का नया शो ‘द वाॅयस इंडिया सीजन 2’ 10 दिसंबर से दर्शको के बीच है। यह शो प्रत्येक शनिवार-रविवार रात 9 बजे प्रसारित होगा। शो के सभी कोच अपनी टीम के लिए प्रतिभागियों को चुनने और अपनी कुर्सी घुमाने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। हमेशा मुस्कुराते रहने वाले कोच शान से हमने शो के साथ उनके जुड़ाव को लेकर बातचीत की।

 

दो सीजन में युवा प्रतिभाओं को मेंटर करने के बाद आप खुद में क्या बदलाव पाते हैं?

द वाॅयस में सीखने का अनुभव काफी अद्भुत रहा। जब आप देशभर से आई अलग-अलग आवाजों को सुनते हैं तो आपको महसूस होता है कि संगीत में हमारा देश कितना समृद्ध है। जिस तरह से सारे प्रतिभागी अपनी दृढ़ महत्वाकांक्षा और समर्पण दिखाते हैं, वह सचमुच प्रेरित करने वाला है। उनके सफर का हिस्सा बनना और उनके हुनर को निखारना मेरे लिए खुशी की बात है।

 

आपके अनुसार प्रतिभागियों को अपने गायन में किन चीजों पर ध्यान देना चाहिए?

चूंकि, द वाॅयस एकमात्र ऐसा सिंगिंग रिएलिटी शो है, जिसमें प्रतिभागियों का चयन केवल उनकी आवाज के दम पर होता है। इसलिए प्रतिभागियों को सिर्फ अपनी गायिकी पर ध्यान देना चाहिए, किसी और चीज पर नहीं। उन्हें किसी की नकल करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए, बस अपने अनोखे अंदाज में परफाॅर्म करना चाहिए।

 

हमने देखा है कि शो में आप सबसे प्यारे कोच हैं। क्या आपको लगता है कि इससे प्रतिभागियों से जुड़ने में आपको मदद मिलती है?

मैं लोगों से जुड़ा हुआ व्यक्ति हूं और मुझे लोगों के बारे में जानकर अच्छा लगता है। मैं यह जानने की कोशिश करता हूं कि उनको निखारने के लिए क्या चीज काम करेगी। साथ ही मैं काफी शांत रहता हूं। चूंकि, मैं सिंगिंग का बहुत बड़ा दीवाना हूं, इसलिए जब लोग इसी तरह की दीवानगी दिखाते हैं तो मैं उनसे आसानी से जुड़ जाता हूं। कोच के रूप में टीम के सारे लोगों से मेरा प्यारभरा और दोस्ताना रवैया रहता है। मैं चाहता हूं वे सभी अच्छा करें। मैं उन्हें अपनी क्षमताओं के अनुसार अपना बेस्ट गाने का भरोसा दिलाना चाहता हूं। मैं चाहता हूं कि वे संगीत के अपने इस सफर के हर पल का आनंद उठायें।

 

गायन में अपने शुरुआती सालों के बारे में कुछ बताएं-आपका सफर कैसा रहा? कितना आसान या मुश्किल था? वो क्या चीज थी, जो आपको आगे बढ़ाती रही?

अगर शुरुआती दिनों की बात की जाए तो, कोच या मेंटर के रूप में, सचमुच मुझे कोई मार्गदर्शन नहीं मिला। हालांकि, मैं हमेशा से ही सीखने को लेकर उत्सुक रहा हूं और जल्दी सीख भी जाता था। इसलिए, मैं जाने-माने गायकों को सुनता और उनसे सीखता था। चूंकि, मुझे कोई प्रोफेशनल ट्रेनिंग नहीं मिली, मैंने खुद गायन की बारीरिकयों को सीखा। साथ ही अपनी गायिकी की खामियों पर काम किया। गाने को लेकर मेरा प्यार और मेरी दीवानगी मुझे आगे तक ले गई।

 
द वाॅयस (सीजन 2) के आने वाले सीजन में आपके साथ बेनी और सलीम जुड़ने वाले हैं, जिनके लिये यह काॅन्सेप्ट नया है। क्या आप और नीति शो में सीनियर होने के नाते मिलकर उन पर हल्ला बोलने वाले हैं?

ऐसा करने के बारे में सोचना मजेदार लग रहा है, लेकिन हमलोग मिलकर उन पर हल्का नहीं बोलने वाले हैं। सलीम और बेनी दोनों ही बड़े कमाल के हैं और मुझे उम्मीद है कि शो पर उन्हें अच्छा लगेगा। मुझे उनके साथ शूटिंग करके काफी मजा आ रहा है।

 

एक लाइन में बताएं, कि कोई प्रतिभा आपको कैसे प्रभावित कर सकती है, जिससे कि आप उनके लिए अपनी कुर्सी घुमाने को मजबूर हो जायें?

बज़र बजाने के लिए मुझ पर तीन चीजें काम करती हैं। सबसे पहले तो, मैं ऐसी आवाज सुनना चाहता हूं जिनमें थोड़ी ट्रेनिंग हो और सधी हुई हो। दूसरी चीज, मैं देखना चाहता हूं कि प्रतिभागी कितना सहज है और उसकी आवाज कितनी बेहतर है। तीसरी बात यह कि, मैं देखता हूं कि मेरी टीम में कौन-सी जगह बची है। क्या वह वेस्टर्न गायन है सूफी गायक है या फिर दूसरे तरह के गाने गाता है। मैं बज़र बजाने वाला एक खुशमिजाज इंसान हूं, इसलिए इस पल मुझे जो अच्छा लगता है मैं बज़र बजा देता हूं।

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