प्रज्ञा कश्यप,
नई दिल्ली। फिल्म अभिनेत्री व निर्माता दिव्या खोसला कुमार ने पर्दे के साथ ही असल जिंदगी में भी कई भूमिकाएं निभाई हैं। बॉलीवुड में अभिनय के अलावा दिव्या ने निर्देशन में भी अपना दमखम दिखाया है, जिसमें महिलाओं की उपस्थिति कम ही रहती है। दिव्या का कहना है कि आज की महिलाएं हर क्षेत्र में आगे हैं और उन्हें रोकना मुश्किल है।
दिव्या ‘टी सीरीज’ कंपनी के प्रमुख भूषण कुमार की पत्नी हैं। दोनों का एक बेटा है। घर और काम के बीच तालमेल के सवाल पर दिव्या ने आईएएनएस के साथ एक विशेष बातचीत में कहा, “मैं अपनी जिंदगी के हर दौर में अपना सौ प्रतिशत देने की कोशिश करती हूं और मुझे लगता है कि आज की महिलाएं बहुत आगे बढ़ रही हैं, जिसमे मैं माता-पिता की भूमिका को भी महत्वपूर्ण मानती हूं। इस समय अभिभावक भी अपनी बेटियों को आगे बढ़ाने की कोशिशों में लगे हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “पिछले कुछ दशकों में हमारे समाज में बदलाव आया है। लोग अपनी बेटियों को बढ़ावा दे रहे हैं और शादी के बाद ससुराल में भी उन्हें समर्थन मिल रहा है। यह हमारे देश की बेहतरी के लिए बहुत बड़ा बदलाव है और मुझे लगता है कि आज महिलाएं, लड़कियां सब कुछ हासिल कर सकती हैं।”
दिव्या ने हाल ही में अपना नया गाना ‘कभी यादों में आऊं.कभी ख्वाबों में आऊं’ रिलीज किया है। यह गाना बॉलीवुड 2003 में आए अल्बम ‘तेरे बिना’ का हिस्सा था। इस नए गीत के वीडियो में दिव्या खोसला कुमार नजर आ रही हैं। वर्ष 2003 के गीत के वीडियो को रोमांटिक अंदाज में पेश किया गया था, जबकि इसमें एक मां और बच्चे की कहानी दिखाई गई है।
दिव्या ने कहा, “इस समय रोमांटिक गानों और वीडियो की कोई कमी नहीं है, आपको रोमांटिक वीडियो देखने को बहुत मिलेंगे। हमने इस नए गीत को अलग तरह से बनाने के बारे में सोचा था। इसलिए हमनें इसमें मां-बच्चे की कहानी को दिखाया, जो आपको बहुत ही कम गीतों के वीडियो में देखने को मिलेगा।”
उन्होंने आगे कहा, “हम कभी-कभी अपनी जिंदगी में इतना आगे बढ़ जाते हैं और खुद में इतना व्यस्त हो जाते हैं कि कभी-कभी हम अपनी मां पर भी ध्यान नहीं दे पाते हैं। इस गाने के पीछे का उद्देश्य आपको दोबारा अपनी मां के करीब ले जाना है। गाने की रिलीज की बाद हमें कई लोगों की टिप्पणियां मिली हैं, जिन्होंने बताया कि हमने इस गाने को देखने के बाद अपनी मां को गले लगाया।”
आप मां और बच्चे के संबंध को कैसे देखती हैं? इस पर उन्होंने कहा, “मां और बच्चे के संबंध को बयां नहीं किया जा सकता। गाने में तो हमने थोड़ी कोशिश की है, यह ऐसा खूबसूरत संबंध है, जिसमें बच्चे के दूर होने पर भी मां को बच्चे की स्थिति का अहसास होता है। मेरा एक बेटा है और मुझे लगता है कि मां और बच्चे के बीच केवल शरीर का ही नहीं आत्मा का भी जुड़ाव होता है।”
दिव्या ने अपने करियर की शुरुआत गायिका फाल्गुनी पाठक के अल्बम के एक गाने ‘अय्यो रामा हाथ से दिल खो गया’ से की थी, जिसके बाद वह कई गानों के वीडियो में नजर आईं। दिव्या ने 2004 में फिल्म ‘अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों’ की और 2014 में उन्होंने फिल्म ‘यारियां’ और उसके बाद ‘सनम रे’ का निर्देशन किया था। वह 2015 की फिल्म रॉय की निर्माता भी थीं।
दिव्या से जब पूछा गया कि अभिनय और निर्देशन में सबसे अधिक किसने लुभाया है, तो उन्होंने कहा, “मैं एक रचनात्मक क्षेत्र से जुड़ी हूं, इसलिए मेरे लिए इन दोनों में चुनाव करना कठिन है। मुझे अभिनय व निर्देशन दोनों पसंद हैं। मुझे लिखना भी काफी पसंद है। मैंने स्कूल के समय टाइम्स ऑफ इंडिया को भी एक लेख लिखकर भेजा था, हालांकि वह प्रकाशित नहीं हुआ।”
अल्बम के अलावा किसी फिल्म पर काम कर रही हैं? यह पूछे जाने पर दिव्या ने कहा, “मैं अभी एक पटकथा पर काम कर रही हूं, जिसे मैं निर्देशित करूंगी। एक बार वह पूरी हो जाएगी तो मैं कलाकारों का चयन शुरू करूंगी।
फिल्म उद्योग के नामी घराने की बहू होने के बावजूद खुद की एक अलग पहचान बनाना आसान रहा या मुश्किल, इस पर दिव्या ने कहा, “मेरे लिए यह आसान तो बिल्कुल भी नहीं रहा है और न ही आसान होता है। मैं अगर अपने पति भूषण कुमार जी का उदाहरण दूं तो उन्होंने जब काम शुरू किया था, तब भी टी-सीरीज बहुत बड़ा नाम था लेकिन उन्हें भी कंपनी को आगे बढ़ाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा। आप किसी भी परिवार से जुड़े हों, आपको कड़ी मेहनत करनी ही पड़ती है।”
(आईएएनएस)
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