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केंद्रीय कैबिनेट ने 6,003 करोड़ रुपये की लागत वाले राष्ट्रीय क्वांटम मिशन को मंजूरी दी

नई दिल्ली| केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को क्वांटम प्रौद्योगिकियों के लिए वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय क्वांटम मिशन को मंजूरी दे दी। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि मिशन को वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास को बढ़ाने के लिए 6,003.65 करोड़ रुपये की लागत पर कैबिनेट की मंजूरी मिली।

कार्यक्रम का उद्देश्य क्वांटम प्रौद्योगिकी के नेतृत्व वाले आर्थिक विकास में तेजी लाना और भारत को इस क्षेत्र में एक अग्रणी राष्ट्र बनाना है।

यह कार्यक्रम 2023-24 से 2030-31 तक चलेगा और इसका उद्देश्य वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास का बीजारोपण, पोषण, विस्तार करना और क्वांटम प्रौद्योगिकी में एक जीवंत व नया पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है।

नया मिशन सुपरकंडक्टिंग और फोटोनिक तकनीक जैसे विभिन्न प्लेटफार्मो में 8 वर्षो में 50-1000 भौतिक क्यूबिट के साथ इंटरमीडिएट स्केल क्वांटम कंप्यूटर विकसित करने का लक्ष्य रखता है।

भारत के भीतर 2000 किलोमीटर की सीमा में ग्राउंड स्टेशनों के बीच उपग्रह आधारित सुरक्षित क्वांटम संचार, अन्य देशों के साथ लंबी दूरी की सुरक्षित क्वांटम संचार, 2000 किमी से अधिक अंतर-शहर क्वांटम कुंजी वितरण के साथ-साथ क्वांटम मेमोरी के साथ मल्टी-नोड क्वांटम नेटवर्क भी मिशन के कुछ डिलिवरेबल्स हैं।

मिशन सटीक समय, संचार और नेविगेशन के लिए परमाणु प्रणालियों और परमाणु घड़ियों में उच्च संवेदनशीलता के साथ मैग्नेटोमीटर विकसित करने में मदद करेगा।

यह क्वांटम उपकरणों के निर्माण के लिए सुपरकंडक्टर्स, उपन्यास सेमीकंडक्टर संरचनाओं और टोपोलॉजिकल सामग्रियों जैसे क्वांटम सामग्रियों के डिजाइन और संश्लेषण का भी समर्थन करेगा।

क्वांटम संचार, संवेदन और मेट्रोलॉजिकल अनुप्रयोगों के लिए एकल फोटॉन स्रोत या डिटेक्टर, उलझे हुए फोटॉन स्रोत भी विकसित किए जाएंगे।

डोमेन पर शीर्ष शैक्षणिक और राष्ट्रीय अनुसंधान एवं विकास संस्थानों में चार विषयगत केंद्र (टी-हब) स्थापित किए जाएंगे – क्वांटम कंप्यूटिंग, क्वांटम संचार, क्वांटम सेंसिंग और मेट्रोलॉजी और क्वांटम सामग्री और उपकरण।

हब, जो बुनियादी और अनुप्रयुक्त अनुसंधान के माध्यम से नए ज्ञान के सृजन पर ध्यान केंद्रित करेंगे और साथ ही उन क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देंगे जो उनके लिए अनिवार्य हैं।

सूत्रों ने आगे कहा कि मिशन देश में प्रौद्योगिकी विकास इको-सिस्टम को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी स्तर पर ले जा सकता है।

मिशन से संचार, स्वास्थ्य, वित्तीय और ऊर्जा क्षेत्रों के साथ-साथ दवा डिजाइन और अंतरिक्ष अनुप्रयोगों को बहुत लाभ होगा।

–आईएएनएस

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