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क्या राम मंदिर बनने से बढ़ेगी इस्लाम की इज्जत?

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डॉ. वेदप्रताप वैदिक,
देश के सर्वमान्य शिया नेता मौलाना कल्बे-सादिक ने जो बात कही है, अगर वह मान ली जाए तो अयोध्या का मंदिर-मस्जिद विवाद तो हल हो ही जाएगा, सारी दुनिया में भारतीय मुसलमानों की इज्जत में चार चांद लग जाएंगे। मुस्लिम इतिहास की कुछ घटनाओं के कारण इस्लाम के बारे में अन्य मजहबों में जो अप्रिय छवि बन गई है, उसे भी हटाने में भारतीय मुसलमानों का महत्वपूर्ण योगदान माना जाएगा।
मौलाना कल्बे-सादिक ने कहा है कि अयोध्या मसले पर सर्वोच्च न्यायालय का फैसला यदि हिंदुओं के पक्ष में जाता है तो मुसलमानों को उसे शांतिपूर्वक स्वीकार कर लेना चाहिए और हिंदुओं को वहां राम मंदिर बनाने देना चाहिए। यदि वह फैसला मुसलमानों के पक्ष में आ जाता है तो भी वह जमीन मुसलमान लोग हिंदुओं को दे दें ताकि वे वहां राम मंदिर बना सकें। बदले में वे करोड़ों हिंदुओं के दिल पा जाएंगे। दिल जीत लेंगे।
मौलाना के इस विनम्र निवेदन को वे लोग क्यों मानेंगे, जिनकी सियासी दुकान इसी विवाद के कारण चल रही है ? यदि वे लोग अदालत के किसी भी फैसले को मानने की कसम खा रहे हैं तो मैं उनसे पूछता हूं कि यदि वह फैसला मंदिर के पक्ष में आ गया तो वे क्या करेंगे ? तब मजबूरी का नाम महात्मा गांधी होगा। लेकिन यदि वे मौलाना की सलाह मान लें तो उनकी इज्जत में इजाफा नहीं हो जाएगा ? बाबरी मस्जिद का क्या है ? उसे आप कहीं भी बना लीजिए। वह तो किसी की भी जन्मभूमि नहीं है। न इब्राहीम की, न मुहम्मद की, न अली की, न उमर की, न अबू बकर की और न ही बाबर की ! जबकि हिंदू मानते हैं कि वह राम की जन्मभूमि है। राम तो सबके हैं।
अल्लामा इक़बाल के शब्दों में वे इमामे-हिंद हैं। राम के वक्त तो हिंदू नाम का एक इंसान भी भारत में नहीं था, सब आर्य थे। लेकिन हिंदू राम को अपना भगवान मानते हैं, क्योंकि वे भारत के महापुरुष हैं। ऐसे ही भारत के मुसलमान भी राम को अपना महापुरुष मान सकते हैं। ऐसा मानने से उनकी मुसलमानियत बिल्कुल भी कम नहीं होगी। इंडोनेशिया दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम देश है और राम उसके महापुरुष हैं। इसके अलावा, अयोध्या का मंदिर-मस्जिद विवाद मूलरुप से धार्मिक बिल्कुल नहीं है।
यह हिंदू-मुसलमान नहीं, देसी-विदेशी का विवाद है। यदि यह धार्मिक विवाद है तो बताइए बाबर ने ढेरों मस्जिदें क्यों गिराई ? विदेशी आक्रांता के पास देसी लोगों का मान-मर्दन करने के यही हथियार होते हैं- उनके पूजा स्थलों, उनकी स्त्रियों और उनकी संपत्तियों को हथियाना ! मेरी समझ में नहीं आता कि हमारे मुसलमान इस्लाम के भक्त हैं या विदेशी आक्रमणकारियों के? मौलाना कल्बे-सादिक ने वह बात कही है, जो इस्लाम का सच्चा भक्त ही कह सकता है।
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