✅ Janmat Samachar.com© provides latest news from India and the world. Get latest headlines from Viral,Entertainment, Khaas khabar, Fact Check, Entertainment.

गहलोत सरकार का होटल से काम करना दुर्भाग्यपूर्ण : राजस्थान गवर्नर 

Advertisement

अर्चना शर्मा

जयपुर: राजस्थान में सत्तासीन कांग्रेस पार्टी के विधायक अपने बागी खेमे और विपक्ष की ओर से किसी भी तरह के दबाव या खरीद-फरोख्त से बचने के लिए जैसलमेर स्थित एक आलीशान होटल में डेरा डाले हुए हैं। इस बीच राज्यपाल कलराज मिश्र ने आईएएनएस के साथ एक विशेष बातचीत में कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य सरकार होटल से काम कर रही है।

स्थिति को अजीब बताते हुए राज्यपाल कहते हैं कि राज्य सरकार से लेकर विपक्ष तक किसी ने भी लिखित रूप में फ्लोर टेस्ट के लिए संपर्क नहीं किया है। हालांकि हर कोई सार्वजनिक रूप से यहां-वहां और मीडिया में इस बारे में चर्चा कर रहा है और इस बात की आशंका है कि कांग्रेस सरकार विधानसभा बहुमत खो रही है।

Advertisement

राजस्थान में चल रहे सियासी संग्राम पर मिश्र ने आईएएनएस से खुलकर बातचीत की। पेश है बातचीत के कुछ प्रमुख अंश :

प्रश्न : क्या राज्य सरकार ने आपके सभी प्रश्नों के जवाब दे दिए हैं, जब आपने 14 अगस्त को सत्र बुलाने के उनके प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है?

उत्तर : हां, राज्य सरकार द्वारा भेजे गए अंतिम प्रस्ताव में राजभवन द्वारा उठाए गए सभी मुद्दों का समाधान है। हमारे लिए बुनियादी प्रश्न यह है कि ऐसे समय में सत्र बुलाने की क्या आवश्यकता है, जब राज्य में रोजाना कोविड के 1000 से अधिक मामले सामने आ रहे हैं। विधानसभा की बैठने की क्षमता भी सीमित है (सामाजिक दूरी के संदर्भ में)।

Advertisement

हालांकि, पहले भेजे गए अन्य तीन प्रस्तावों के विपरीत हमें भेजे गए अंतिम प्रस्ताव (प्रपोजल) में सत्र को बुलाने की प्रस्तावित तारीख (14 अगस्त) के साथ विस्तृत कारणों के उल्लेख किया गया है।

इस प्रस्ताव में सत्र बुलाने के लिए कोरोना पर चर्चा करने और कुछ विधेयक जैसे कारण शामिल हैं। इसमें यह भी कहा गया है कि सरकार ने सत्र के दौरान कोविड मानदंडों के संदर्भ में नई व्यवस्था का फैसला किया है, जो हमारी प्राथमिक चिंता है।

प्रश्न : परेशान करने वाले मुद्दे क्या थे, जो आपको प्रस्ताव पर अपनी सहमति देने के लिए रोक रहे थे?

Advertisement

उत्तर : संविधान का अनुच्छेद 174 राज्यपाल को समय-समय पर सदन या राज्य विधानमंडल के प्रत्येक सदन को ऐसे समय और स्थान पर बुलाने की शक्ति देता है, जैसा कि वह उचित समझते हैं। हालांकि जैसा वह सोचते हैं कि उपयुक्त है, यह संविधान के अनुच्छेद 163 में बताया गया है, जो कहता है कि राज्यपाल कैबिनेट की सहायता और सलाह पर काम करता है और राज्य सरकार उसी अनुच्छेद के तहत प्रस्ताव भेज रही है।

यही अनुच्छेद राज्यपाल को कुछ सीमित विवेकाधीन शक्तियों का इस्तेमाल करने का अधिकार देता है।

हालांकि, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 208 के तहत बनाए गए विधायी कामकाज नियम के नियम संख्या-3 में कहा गया है कि अगर कुछ जरूरी नहीं है तो राज्यपाल 21 दिनों के नोटिस पर सत्र बुला सकते हैं। हालांकि यदि कुछ जरूरी है तो सत्र को पहले भी बुलाया जा सकता है। इसलिए मैंने पूछा कि जब कोविड है, तब सत्र बुलाने का क्या तात्पर्य है। आपके सभी विधायक होटल में ठहरे हुए हैं और राज्य में हर रोज 1,000 से अधिक कोरोना मामले सामने आ रहे हैं। विधानसभा में 1200 से अधिक लोगों की एक मंडली होगी, लेकिन बैठने की क्षमता विधानसभा में सीमित है।

Advertisement

इस बीच मंत्रिमंडल ने कहा कि सत्र बुलाना उनका अधिकार है और राज्यपाल मंत्रिमंडल की सहायता और सलाह के लिए बाध्य हैं। इसलिए मेरा कहना था कि मुझे भी सवाल करने का अधिकार है।

प्रस्ताव में तीन बार बुनियादी जानकारी का अभाव होने के कारण इसे वापस भेज दिया गया था। पहला प्रस्ताव राज्य सरकार ने 23 जुलाई को भेजा था, जो एक साधारण अनौपचारिक कैबिनेट प्रस्ताव था, जिसमें उस तारीख का जिक्र नहीं था, जिस दिन वे सत्र बुलाना चाहते थे। इसे कैबिनेट की औपचारिक मंजूरी नहीं थी। इसे 24 जुलाई को यह कहते हुए लौटा दिया गया कि इसमें कोई तारीख और कोई एजेंडा नहीं है।

बाद में दूसरा प्रस्ताव 25 जुलाई को हमारे पास पहुंचा, जो प्रभावी था क्योंकि इसमें तारीख का उल्लेख किया गया था और कहा गया था कि वे 31 जुलाई को सत्र आयोजित करना चाहते हैं। इस सत्र को संप्रेषित करने का कोई तात्कालिक कारण नहीं था। राजभवन ने उन्हें संवैधानिक मानदंडों के साथ काम करने की सलाह दी और उन्हें बताया कि सत्र को 21 दिनों के नोटिस पर बुलाया जा सकता है। इसलिए आखिरकार 14 अगस्त से सत्र के प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया गया।

Advertisement

प्रश्न : वर्तमान परि²श्य के बीच, जब ऐसा लग रहा था कि सरकार गिर रही है, तब क्या आपकी ओर से सत्र बुलाना महत्वपूर्ण नहीं था?

उत्तर : मुख्यमंत्री एक सार्वजनिक बयान दे रहे थे कि वह बहुमत साबित करना चाहते हैं और इसलिए वह जनता में विश्वास प्रस्ताव को आगे बढ़ाना चाहते थे। हालांकि इस तथ्य का उल्लेख फाइल में नहीं किया गया था। यदि वह विश्वास प्रस्ताव के लिए एक सत्र बुलाना चाहते थे, तो यह अल्पावधि नोटिस के लिए एक वैध कारण था, क्योंकि उसके लिए यह एक मजबूत आधार था। हालांकि जैसा कि प्रस्ताव में कहीं भी उल्लेख नहीं किया गया था, इसलिए हमें अपनी ओर से एक 21 दिनों की सूचना अवधि के लिए जाना पड़ा।

पूरे संदर्भ में बड़ी अजीब बात यह है कि कोई भी लिखित में फ्लोर टेस्ट के लिए नहीं कह रहा है। हालांकि हर कोई यहां-वहां सार्वजनिक तौर पर और मीडिया में इसकी चर्चा कर रहा है। वे चर्चा कर रहे हैं कि सरकार अपना बहुमत खो रही है। हालांकि न तो सत्ता पक्ष और न ही विपक्षी दल फ्लोर टेस्ट की मांग कर रहे हैं।

Advertisement

प्रश्न : क्या आपने चौथी बार प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था? क्या कांग्रेस सरकार ने स्वयं सत्र बुलाने की शक्ति का इस्तेमाल किया, जैसा कि कांग्रेस के एक मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास द्वारा कहा गया है?

उत्तर : यह संभव नहीं है। क्योंकि अनुच्छेद 174 स्पष्ट रूप से राज्यपाल को समय-समय पर सदन को बुलाने का अधिकार देता है। राज्यपाल के अलावा किसी और को सत्र बुलाने का अधिकार नहीं है। एक बार जब वह अपनी स्वीकृति दे देता है, तो अध्यक्ष सत्र की कार्यवाही के लिए सभी व्यवस्था करता है।

प्रश्न : राज्य में राजनीतिक संकट पर आपकी क्या राय है?

Advertisement

उत्तर : यह राजस्थान की राजनीति के साथ-साथ राजस्थान के लोगों के लिए बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार होटलों से काम कर रही है।

अब, जब विधानसभा सत्र 14 अगस्त से शुरू होगा, तो उन्हें सार्वजनिक हित से जुड़े सभी मुद्दों पर चर्चा करनी चाहिए और इस संकट को हल करने का प्रयास करना चाहिए। क्योंकि कोरोना से अन्य विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं।

–आईएएनएस

Advertisement
Advertisement

About Author