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गृहमंत्री अमित शाह ने पुलिस मुख्यालय में कमिश्नर के सामने ही नियमों की धज्जियां उड़़ाई,कमिश्नर सच्चिदानंद श्रीवास्तव काबिल/ दमदार होते तो जुर्माना वसूल कर मिसाल बनाते 

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गृहमंत्री अमित शाह के लिए क्या मास्क नहीं है जरूरी ? 
प्रधानमंत्री की भी नहीं मानते मंत्री, संतरी ?
इंद्र वशिष्ठ
दिल्ली पुलिस ने मास्क, दो गज दूरी के नियमों का पालन न करने वाले साढे पांंच लाख से ज्यादा (557868) लोगों के चालान काट कर अब तक करोड़ों रुपए जुर्माना वसूला है।
दिल्ली पुलिस गृहमंत्री अमित शाह के अधीन है।लेकिन गृहमंत्री अमित शाह खुद खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ाते हैं। यहीं नहीं पुलिस कमिश्नर सच्चिदानंद श्रीवास्तव, उनके मातहत आईपीएस अफसर ही नहीं उनकी पत्नियां तक नियमों की धज्जियां उड़ाते हैं।
गृहमंत्री अमित शाह और कानून लागू करने वाले पुलिस कमिश्नर तक जब नियमों का सम्मान और पालन नहीं करते तो इनकी भूमिका पर सवालिया निशान लग जाता है।
प्रधानमंत्री की भी नहीं मानते- प्रधानमंत्री मोदी मास्क, दो गज दूरी की अपील करते थकते नहीं हैं लेकिन उनके गृहमंत्री और आईपीएस अफसर ही नियमों का पालन नहीं करते।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या पुलिस को आम लोगों के चालान करने का नैतिक हक है।
क्या गृहमंत्री और आईपीएस अफसर नियमों से खुद को ऊपर मानते है।
क्या नियम कायदे सिर्फ़ आम और कमजोर लोगों के लिए है।
देश का गृहमंत्री ही जब खुद नियमों की धज्जियां उडा़ए तो भला वह नियमों का पालन न करने वाले आईपीएस अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत कैसे कर सकता है।
किसी समय नेताओं द्वारा नियमों का पालन कर समाज में आदर्श पेश किए जाते थे।
आज तो हालत यह है कि नियमों का पालन करना नेताओं को अपनी शान के खिलाफ लगता है।
गृहमंत्री नियम तोड़ने के आदी –
दिल्ली पुलिस मुख्यालय में 19 जनवरी 2021 को गृहमंत्री अमित शाह गए थे। गृहमंत्री ने उस दौरान मास्क नहीं पहना। गृहमंत्री की अनेक तस्वीरों से यह साफ पता चलता है कि उनकी नजर में कायदे कानून का कोई सम्मान नहीं है। पुलिस कमिश्नर सच्चिदानंद श्रीवास्तव ने भी गृहमंत्री और अफसरों की  बैठक के दौरान मास्क नहीं पहना है।
गृहमंत्री नियमों को तोड़ने के आदी है इसका पता दिल्ली में ही 28 दिसंबर 2020 को फिरोज शाह कोटला मैदान (अब अरुण जेटली स्टेडियम) में आयोजित कार्यक्रम से भी चलता है। स्टेडियम में अरुण जेटली की प्रतिमा के अनावरण के अवसर पर गृहमंत्री अमित शाह ने मास्क और दो गज दूरी के नियमों का पालन नहीं किया। इस अवसर क्रिकेटर सौरव गांगुली, मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी इन नियमों की धज्जियां उड़ाई। जब गृहमंत्री ही नियमों का पालन न कर रहे हो तो कार्यक्रम में उपस्थित लोग भला क्यों करते
गृहमंत्री के खिलाफ कार्रवाई कौन करेगा?-
अगर कोई व्यक्ति बार बार नियमों का उल्लंघन करें तो पुलिस उसके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कर सकती है। लेकिन जब नियम बनाने वाला पुलिस का आका गृहमंत्री ही नियम तोडे़ तो कौन उसके खिलाफ कार्रवाई करेगा। आज तो हालात यह है कि मंत्री और  पुलिस कमिश्नर दोनों खुद एक दूसरे के सामने ही नियमों की धज्जियां उड़ाते हैं।
मंत्री तक के खिलाफ सिर्फ़ काबिल/ दमदार /ईमानदार आईपीएस अफसर ही कार्रवाई करने की हिम्मत रखते हैं। ऐसे काबिल/ ईमानदार /दमदार अफसरों का अब अकाल पड़ गया लगता है। अब तो मनचाही तैनाती के लिए नेताओं के  दरबारी अफसरों की भरमार है।
कमिश्नर, आईपीएस और पत्नियां भी शामिल-
पुलिस कमिश्नर सच्चिदानंद श्रीवास्तव, उनके मातहत अनेक आईपीएस अफसरों के अलावा कमिश्नर और अन्य अफसरों की पत्नियों द्वारा नियमों की धज्जियां उडा़ए जाने की अनेक खबरें इस पत्रकार द्वारा पहले भी दी गई है।
कानून बनाने वाले मंत्री और कानून लागू करने वाले पुलिस अफसरों द्वारा नियमों का पालन नहीं करने से समाज में गलत संदेश जाता है। ऐसे में ये मंत्री और अफसर किस मुंह से आम लोगों को नियमों का पालन करने की नसीहत दे सकते हैं।
न्यायाधीश, मंत्री, संतरी सब शामिल-
नियमों की धज्जियां उडा़ने में विधायिका, न्यापालिका और कार्यपालिका तीनों ही शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अरविंद बोवडे की मास्क और दो गज दूरी के नियम के उल्लंघन की हार्ले डेविडसन बाइक वाली तस्वीर खूब वायरल हुई थी।
दिल्ली पुलिस मुख्यालय में ही पिछले साल 30 जून को पुलिस कमिश्नर सच्चिदानंद श्रीवास्तव ,गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी और सांसद प्रवेश वर्मा द्वारा दो गज दूरी के नियम का उल्लंघन किया गया था।
आप वाले भी अहंकारी-
दिल्ली सरकार के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया और विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल द्वारा भी नियमों की धज्जियां उड़ाने की अनेक तस्वीरे सामने आती रही है। मनीष सिसौदिया ने कुछ दिन पहले अपने जन्मदिन के मौके पर भी नियमों  की जमकर धज्जियां उड़़ाई।
विधानसभा सदन की गरिमा गिरा दी-
विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल ने तो 17 अक्टूबर 2020 विधानसभा परिसर में ही नियमों की धज्जियां उड़़ाई। अग्रवाल समाज के कार्यक्रम में शामिल लोगों द्वारा विधानसभा के सदन के अंदर ही नियमों की धज्जियां उड़ाना शर्मनाक है।
मनीष सिसौदिया हो या राम निवास गोयल इनके आचरण से भी यह साफ हो गया कि इनमें ओर दूसरे दलों के नेताओं मेंं जरा भी अंतर नहीं है। यह भी सत्ता पा कर खुद को कानून कायदे से ऊपर मानते है।
वालंटियर बन गए गिद्ध-
दूसरी ओर दिल्ली सरकार के ही सिविल डिफेंस के वालंटियर चालान काटने के लिए गिद्धों की तरह लोगों पर झपटते है। फर्जी चालान काट कर लोगों से पैसा वसूलने वाले सिविल डिफेंस के कई वालंटियर पुलिस ने गिरफ्तार भी किए है।
नेता पालन नहीं करते तो लोगों पर जुर्माना क्यों –
ऐसे में केंद्र और दिल्ली सरकार के सत्ताधारी नेताओं में जरा भी शर्म है तो आम लोगों के चालान करना बंद करना चाहिए।
असल में नेताओं के दोहरे चरित्र के कारण ही नियमों के पालन में भेदभाव किया जाता है।
नेता अपने वोट बैंक के चक्कर में खुद रैलियों और प्रदर्शन आदि में लोगों को नियम तोड़ने की छूट देते है।
पुलिस भी सत्ता की लठैत बन कर रैलियों और प्रदर्शन आदि में शामिल लोगों को नियम तोड़ने देती है।
सिर्फ़ आम,अकेले और कमजोर आदमी के ही चालान किए जाते हैं।
कमिश्नर,आईपीएस से जुर्माना कौन वसूलेगा-
पुलिस कमिश्नर आईपीएस और उनकी पत्नियों  द्वारा नियमों के उल्लंघन के मामले लगातार  सामने आ रहे हैं।  नियम का उल्लंघन करने पर 2000 रुपए का जुर्माना किया जाता है। एफआईआर भी दर्ज की जा सकती है।
पुलिस की मनमानी-
लेकिन यह सब आम आदमी पर ही लागू किया जा रहा है।
कार में अकेले जा रहे लोगों के पुलिस ने जमकर चालान किए। कुछ दिन पहले ही यह खुलासा हुआ कि मंत्रालय ने इस तरह के चालान करने का कोई आदेश नहीं दिया था।
स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति कार में अकेला है और उसके चेहरे पर मास्क नहीं है तो ऐसे व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करने का कोई निर्देश मंत्रालय ने नहीं दिया है।
दूसरी ओर पुलिस द्वारा इंडिया गेट पर परिवार के साथ बैठ कर खा पी रहे लोगों के चालान करने की तस्वीरे तक मीडिया को जारी की जाती हैं।
कितनी अजीब बात है कि खुद नियमों की धज्जियां उडाने वाले अफसर ही लोगों को नियम पालन करने का उपदेश देते हैं। ऐसे अफसर किस मुंह से अपने मातहतों को आम जनता के चालान करने को कह देते हैं।
नियमों का उल्लंघन करने वाली पुलिस को आम जनता के चालान करने का नैतिक रुप से कोई हक नहीं होना चाहिए।
नियम तोड़ना और ढिंढोरा पीटना-
अफसरों के अनाड़ीपन/ दुस्साहस का अंदाजा लगाया जा सकता है कि नियमों के उल्लंघन पर शर्मिंदा होने की बजाए वह खुद प्रचार के मोह में ऐसी फोटो भी सार्वजनिक कर देते हैं जिसमें नियमों का उल्लघंन साफ़ दिखाई देता है। इससे इन अफसरों की काबिलियत पर भी सवालिया निशान लग जाता है।
मोदी जी खुद भी कार्रवाई करके दिखाओ-
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने भाषण में कहा कि एक देश के प्रधानमंत्री के खिलाफ मास्क न पहनने पर जुर्माना लगाया गया है।
प्रधानमंत्री दूसरे देशों द्वारा नियमों का पालन बिना भेदभाव के सख्ती से किए जाने का उदाहरण तो देते हैं। लेकिन नियमों का उल्लघंन करने वाले उपरोक्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की खुद हिम्मत नहीं दिखाते हैं।
भारत में है किसी में इतना दम  ?
उल्लेखनीय है कि बिना मास्क के सार्वजनिक स्थान पर जाने के कारण बुल्गेरिया के प्रधानमंत्री बॉयको बोरिसोव, उनके काफिले के अफसरों और पत्रकारों पर 170 डॉलर यानी 13 हजार रुपए जुर्माना लगाया गया।
रोमानिया के प्रधानमंत्री पर भी मास्क न पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करने पर 600 डॉलर यानी 45 हजार रुपए जुर्माना लगाया गया।
दरबारी अफसर-
भारत में नेताओं और पुलिस अफसरों द्वारा  सिर्फ बातें बड़ी बड़ी करने का रिवाज हैं। इस तरह की कार्रवाई करने का दम अफसरों में नहीं है। इसकी मुख्य वजह यह है कि ज्यादातर अफसर महत्वपूर्ण पदों पर तैनाती के लिए राजनेताओं के दरबारी बन जाते हैं।
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