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'बारात',

बांग्लादेश : हिंदुओं को बहुविवाह की इजाजत, लेकिन तलाक पर रोक

 

न्यूयॉर्क| अमेरिकी सरकार की एक रपट के मुताबिक बांग्लादेश में हिंदुओं के विवाह से संबंधित कुछ कानून भारत में मुसलमानों के लिए बने कानून के जैसे हैं।

वाशिंगटन में मंगलवार को जारी की गई अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक आजादी रपट (आईआरएफआर), 2016 में कई देशों में विभिन्न समूहों द्वारा संचालित विवाह कानूनों की जांच की गई है। इसमें कहा गया है कि बांग्लादेश में हिंदुओं को बहुविवाह की इजाजत दी गई है।

रपट में कहा गया है, “हिंदू (नागरिक) कानून के तहत पुरुष की कई पत्नियां हो सकती हैं। लेकिन उनके पास आधिकारिक तौर पर तलाक का विकल्प नहीं है।”

बौद्ध भी हिंदू कानून के तहत आते हैं और तलाकशुदा हिंदू और बौद्ध कानूनी तौर पर फिर से शादी नहीं कर सकते।

रपट में कहा गया है कि हिंदू नागरिक कानून में महिलाओं को विरासत की संपत्ति पर भी रोक लगाई गई है।

हिंदुओं और बौद्धों के तलाक और पुनर्विवाह पर रोक को लेकर वहां विरोध है। क्योंकि यह कानून दूसरे धर्मो पर लागू नहीं होता।

आईआरएफआर ने कहा कि मनुशेर जोन्नो फाउंडेशन (एमजेएफ), अइन ओ सलिश केंद्र (एएसके), बांग्लादेश महिला परिषद व बांचते शेख सहित कई संगठनों ने इन नियमों को बनाए रखने के लिए सरकार की निंदा की है।

आईआरएफआर ने कहा है, “रिसर्च इनीशिएटिव इन बांग्लादेश व एमजेएफ के साल के दौरान किए गए सर्वेक्षण में 26.7 फीसदी हिंदू पुरुष व 29.2 फीसदी हिंदू महिलाएं तलाक के इच्छुक हैं, लेकिन वे मौजूदा कानून की वजह से ऐसा नहीं कर सके।”

रपट में कहा गया है कि एक मुस्लिम व्यक्ति चार पत्नियां रख सकता है, लेकिन उसे फिर से शादी करने के लिए अपनी मौजूदा पत्नी या पत्नियों से लिखित सहमति लेनी होगी।

रपट में कहा गया है कि मुस्लिम महिलाओं के पास पुरुषों की अपेक्षा कुछ ही तलाक के अधिकार हैं। इसके लिए अदालत को तलाक को मंजूरी देनी होगी और व्यक्ति को पूर्व पत्नी को तीन महीने का भरण-पोषण देना होगा।

–आईएएनएस

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