✅ Janmat Samachar.com© provides latest news from India and the world. Get latest headlines from Viral,Entertainment, Khaas khabar, Fact Check, Entertainment.

भारत व आस्ट्रेलिया का हिद-प्रशांत क्षेत्र में सामुद्रिक सहयोग पर करार

नई दिल्ली| भारत और आस्ट्रेलिया ने गुरुवार को हिंद-प्रशांत में सामुद्रिक सहयोग के साझा विजन के साथ एक व्यापक संयुक्त घोषणापत्र पर हस्ताक्षर कर समग्र रणनीतिक साझेदारी के क्षेत्र में कदम रखा। यह दूरगामी महत्व का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके आस्ट्रेलियाई समकक्ष स्कॉट मॉरिसन के बीच गुरुवार को हुए वर्चुअल शिखर सम्मेलन में लिया गया।

प्रधानमंत्री मोदी ने इसे भारत-आस्ट्रेलिया साझेदारी का एक नया मॉडल बताया जिसके जरिए दोनों देश सहयोग की नई बुलंदियों को छू सकते हैं।

मॉरिसन ने कहा कि दोनों देशों का आपसी विश्वास, साझा मूल्य और समान हित इन्हें और अधिक निकटता के साथ काम करने की एक मजबूत बुनियाद मुहैया कराते हैं।

आस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री माराइज पाएने ने कहा गुरुवार को हुआ फैसला आस्ट्रेलिया और भारत के सुरक्षा एवं रक्षा सहयोग को आगे ले जाने के संदर्भ में काफी महत्वपूर्ण है।

दोनों देशों ने साइबर और साइबर संबद्ध क्रिटिकल टेक्नोलॉजी सहयोग के फ्रेमवर्क समझौते पर और खनन तथा स्ट्रेटजिक खनिज पदार्थो के प्रसंस्करण के क्षेत्र में सहयोग के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।

दोनों देशों ने साझा लॉजिस्टिक सहयोग पर करार पर दस्तखत किया। साथ ही रक्षा क्षेत्र में सहयोग के एमओयू पर भी दस्तखत किए जिसमें रक्षा, विज्ञान व प्रौद्योगिकी शामिल हैं।

इनके अलावा, नागरिक प्रशासन व शासन सुधार, व्यावसायिक शिक्षा व प्रशिक्षण तथा जल संसाधन प्रबंधन के क्षेत्र में भी सहयोग के लिए एमओयू पर दस्तखत किए गए।

मुंबई स्थित पॉलिसी इंस्टीट्यूट गेटवे हाउस के फेलो समीर पाटिल ने आईएएनएस से कहा कि यह साइबर कूटनीति आस्ट्रेलिया के साइबर सहयोग कार्यक्रम से अच्छे से मेल खाती है जिसके तहत आस्ट्रेलिया साइबर अपराधों को रोकने और अभियोजन के लिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों की क्षमता निर्माण में मदद देता है।

पाटिल ने यह भी कहा कि दोनों देशों की सेनाओं को विकसित हो रही सैन्य प्रौद्योगिकियों की जरूरत है। इनमें सेंसर, प्रोपुलजन एवं नैनो-मैटेरियल प्रौद्योगिकियां शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि दोनों देश सरकारी रक्षा शोध प्रयोगशालाओं और निजी क्षेत्र की दक्षता के अनुभवों को शामिल कर अपने विकास पर मिलकर काम कर सकते हैं। दोनों ही देश अपने घरेलू रक्षा उद्योग को लाभ पहुंचा सकते हैं।

–आईएएनएस

About Author