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मुंबई एशिया की नई अरबपति राजधानी बनने के मामले में बीजिंग से आगे

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नई दिल्ली, 26 मार्च। मुंबई एशिया की नई अरबपतियों की राजधानी के रूप में उभरा है और इस मामले में यह बीजिंग को पीछे छोड़ चुका है, जबकि भारत 271 अरबपतियों के साथ वैश्विक स्तर पर जर्मनी को पीछे छोड़कर तीसरे स्थान पर है। यह बात हुरुन रिसर्च इंस्टीट्यूट की ताजा रिपोर्ट में कही गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है, “मुंबई दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ते अरबपतियों की राजधानी है, इस साल इसमें 26 अरबपति शामिल हुए और यह दुनिया में तीसरा व एशिया में अरबपतियों की राजधानी बन गया है। नई दिल्ली पहली बार शीर्ष 10 में शामिल हुई।”

भारत की आर्थिक शक्ति उसकी अरबपति आबादी में उल्लेखनीय वृद्धि से और भी अधिक रेखांकित हुई। देश में आश्चर्यजनक रूप से 94 नए अरबपति जुड़े, जो संयुक्त राज्य अमेरिका को छोड़कर किसी भी देश में सबसे अधिक है। कुल मिलाकर यहां 271 अरबपति हो गए। यह उछाल 2013 के बाद से सबसे ज्‍यादा है और भारतीय अर्थव्यवस्था में बढ़ते आत्मविश्‍वास का प्रमाण है।

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2024 हुरुन ग्लोबल रिच लिस्ट रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अरबपतियों की संचयी संपत्ति चीन की प्रति अरबपति औसत संपत्ति (3.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर बनाम 3.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर) को पार करते हुए 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गई।

रिपोर्ट में बताया गया है कि उद्योग के लिहाज से फार्मास्युटिकल क्षेत्र 39 अरबपतियों के साथ सबसे आगे है, इसके बाद ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट उद्योग (27) और रसायन क्षेत्र (24) का स्थान है।

सामूहिक रूप से भारतीय अरबपतियों की संपत्ति 1 खरब डॉलर के बराबर है, जो वैश्विक अरबपतियों की संपत्ति का 7 फीसदी है, जो देश के पर्याप्त आर्थिक प्रभाव को दर्शाता है।

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रिपोर्ट में कहा गया है कि युवा, तकनीक-प्रेमी आबादी और नवाचार पर बढ़ते फोकस के साथ भारत इस एआई क्रांति को भुनाने के लिए अच्छी स्थिति में है, जिससे आने वाले वर्षों में और भी अधिक अरबपतियों के निर्माण को बढ़ावा मिलेगा।

भारतीय अरबपतियों की सूची में सबसे आगे रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी हैं, जिनकी कुल संपत्ति 115 अरब डॉलर है। अदाणी ऊर्जा समूह के संस्थापक गौतम अदाणी उनके सबसे करीब हैं। उनकी संपत्ति का मूल्य 86 अरब डॉलर है, उनकी कंपनियों के शेयरों में तेजी के कारण संपत्ति में 33 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई है।

एक तरफ भारत में अरबपतियों की संख्‍या बढ़ गई, तो दूसरी ओर इस मामले में चीन में गिरावट देखी गई। रिपोर्ट में कहा गया है, “चीन के लिए यह साल खराब रहा। हांगकांग 20 फीसदी नीचे, शेनझेन 19 फीसदी नीचे और शंघाई 7 फीसदी नीचे रहा।”

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इस मंदी को देश के रियल एस्टेट संकट और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों में अस्थिर शेयर बाजार की समस्याओं के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।

–आईएएनएस

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