नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को यहां ऊर्जा एवं संसाधन संस्थान (टेरी) के विश्व सतत विकास शिखर सम्मेलन का उद्घाटन किया।
इस मौके पर मोदी ने कहा, “आज हम यहां इसलिए हैं कि हमें यह विश्वास है कि हम मनुष्य के रूप में इस धरती के लिए कुछ अलग कर सकते हैं। हमें यह समझने की जरूरत है कि यह धरती, हमारी धरती मां, केवल एक है। और इसलिए, हमें वंश, धर्म और शक्ति के हमारे तुच्छ मतभेदों से ऊपर उठना चाहिए और उसे बचाने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत न केवल 2020 तक उत्सर्जन तीव्रता को 2005 के स्तर से जीडीपी के 20-25 प्रतिशत तक कम करने की अपनी प्रतिज्ञा को पूरा करने के रास्ते पर है, बल्कि 2030 तक राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान को पूरा करने की ओर भी तेजी से बढ़ रहा है।
प्रधानमंत्री ने अधिक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का आह्वान करते हुए कहा, “सफल जलवायु कार्रवाई के लिए वित्तीय संसाधनों और प्रौद्योगिकी तक पहुंच की जरूरत है। प्रौद्योगिकी भारत जैसे देशों को स्थायी रूप से विकसित होने में मदद कर सकती है और गरीबों को इसका लाभ लेने के लिए सक्षम बना सकती है।”
केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री, डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, “हमें यह स्वीकार करना होगा कि मानव सभ्यता के अस्तित्व के लिए जलवायु परिवर्तन सबसे बड़े खतरों में से एक है और मानव के साथ विकास इस समय की आवश्यकता है। हमारी सरकार पर्यावरण संरक्षण को नागरिक आंदोलन में बदलने के लिए प्रतिबद्ध है, जहां प्रत्येक व्यक्ति हरित सामाजिक जिम्मेदारी के माध्यम से हर दिन कम से कम एक हरे, अच्छे काम को क्रियान्वित कर सके।”
इस अवसर पर टेरी के अध्यक्ष, अशोक चावला ने कहा, “हमारा मानना है कि इस शिखर सम्मेलन से पैदा होने वाले ²ष्टिकोण और भागीदारियां पर्यावरणीय क्षति से निपटने के लिए वैश्विक प्रयास को मजबूत करेंगे। इस शिखर सम्मेलन का लक्ष्य स्थायी विकास को सार्वभौमिक रूप से साझा लक्ष्य बनाना है। एक असमान संसार में, जलवायु परिवर्तन का असर वास्तव में गरीबी में रहने वाले लोगों की बड़ी संख्या को प्रभावित करेगा।”
टेरी के इस वर्ष के सम्मेलन का विषय है – ‘एक लचीले ग्रह के लिए भागीदारी’।
शिखर सम्मेलन में विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों और वैश्विक नेताओं ने हिस्सा लिया।
–आईएएनएस
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