दिल्ली: 5 जून को दिल्ली के जंतर मंतर पर मुकेश खन्ना, गोपाल सिंह और दीपक त्रिपाठी स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार वालों के साथ मोर्चा करने वाले हैं। और यह मांग सामने रखने वाले हैं कि शहीदों के परिवार वालों के हित में कुछ किया जाए।
इस मोर्चा पे मुख्य उपस्थिति मुकेश खन्ना, रघुनाथ पांडे (शहीद मंगल पांडे के वंशज), सत्यशील राजगुरु (शहीद राजगुरु के पौत्र), आफाकुल्ला खान (शहीद अशफाक उल्ला खान के वंशज), डॉ भारती दत्त (असेम्बली कांड के मशहूर स्वतंत्रता सेनानी श्री बटुकेश्वर दत्त की पुत्री), गोपाल सिंह (राष्ट्रीय अध्यक्ष जय हिंद अभियान) और दीपक त्रिपाठी (राष्ट्रीय सह संचालक-जय हिंद अभियान) की होगी। यहां स्वतंत्रता सेनानियों के और भी वंशज आ सकते हैं।
आपको बता दें कि जय हिंद अभियान एक ऐसी मुहिम है जो स्वतंत्रता सेनानियों के हितार्थ संग्राम फाउंडेशन के तहत चलाया जा रहा है। इसके संचालक गोपाल सिंह, सह संचालक दीपक त्रिपाठी, मार्गदर्शक मुकेश खन्ना, प्रेरणास्रोत एकनाथ शिन्देजी हैं। यह अभियान देश के हित में अपनी मांगों के साथ आगे बढ़ रहा है। सभी स्वतंत्रता सेनानी हमेशा के लिए भारतीय इतिहास में अमर हो जाएं और हर दिन किसी न किसी रूप में हर हिंदुस्तानी उन्हें याद करता रहे। इसी कोशिश में यह अभियान चलाया जा रहा है।
शक्तिमान फेम मुकेश खन्ना का कहना है कि लगभग 5 साल पहले गोपाल सिंह और दीपक त्रिपाठी को स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में जानने की जिज्ञासा हुई। निरंतर अध्ययन के बाद इनको कई अविश्वसनीय बातें पता चलीं। इनके ज़ेहन में यह बात आई कि हमारे देश मे क्रांतिकारियों के नाम पर कुछ विशेष है नहीं। किसी राजमार्ग, किसी स्टेडियम, किसी राज्य, जिला में इनके नाम पर किसी पुरुस्कार का नाम क्यों नहीं है। स्वतंत्रता के बाद किसी भी सरकार ने इन्हें शहीद का दर्जा दिया नहीं, इसपर संशय बना हुआ है, क्यों नहीं किया गया ऐसा? क्रांतिकारियों की निशानियों को भी राष्ट्रीय धरोहर के रूप में नहीं सहेजा जा रहा है। अगर सरकारी योजनाओं के नाम स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर होते तो वे अधिक प्रेरक होते, मगर ऐसा नहीं किया गया। ऐसी ही बातों के लिए इन्होंने संग्राम फाउंडेशन की नींव रखी और इसके तहत जय हिंद अभियान की भी शुरुआत की। यह दोनों जब मेरे ऑफिस आए और यह तमाम बातें बताईं तो एक पल सोचे बिना मैंने इस पुण्य के काम मे साथ देने का वचन दे दिया। किसी न किसी को तो इस मामले में आगे आना पड़ेगा और देशवासियों को जगाना पड़ेगा। पहले इन्होंने आरटीआई का सहारा लिया। इन दोनों ने कई स्थानों का नाम क्रांतिकारी के नाम पर करवाने का प्रयास किया। देश के कई भागों में जाकर अभियान का प्रचार प्रसार किया गया। अभियान का मांगपत्र तकरीबन सभी राज्य सरकार को भेजा है। दिल्ली जाकर कई बार केंद्र सरकार को यह मांगपत्र सौंपा है। शहीद सम्मान कार्यक्रम, आज़ाद समारोह राष्ट्रवादी कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कई विद्यालयों में जाकर विद्यार्थियों को इस बारे में जानकारी भी दी गई।
मुकेश खन्ना ने आगे बताया कि आज की युवा पीढ़ी से आप पूछें कि अशफाक उल्ला खान कौन थे तो वे नहीं बता पाएंगे। पाठ्यक्रम में क्रांतिकारियों के बारे में पढ़ाया जाना चाहिए। इस अभियान से देश भर से लोग जुड़ रहे हैं शिक्षक, नेता, वकील, अभिनेता, सामान्य इंसान। इन्होंने अभियान के कार्य के लिए किसी से भी आर्थिक सहायता नहीं मांगी। कई जगह से इन्हें ऑफर भी मिला लेकिन इन्होंने विनम्रता से मना कर दिया। अगर इस अभियान को सफ़लता नहीं मिली तो यह आप सब की हार होगी। यही सही समय है, कि इस अभियान को कामयाब बनाया जाए, अभी नहीं तो कभी नहीं। ज्यादा से ज्यादा लोग इसमे शामिल हों।
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