नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) के नेता बिमल गुरुं ग की याचिका रद्द कर दी। गुरुं ग ने पश्चिम बंगाल में अपने उपर दर्ज विभिन्न मामलों में गिरफ्तारी से राहत के लिए याचिका दायर की थी। एक अलग गोरखालैंड राज्य की मांग करने के लिए आंदोलन की अगुआई करने वाले नेताओं में से एक गुरंग ने दावा किया था कि पश्चिम बंगाल सरकार उन्हें राजनीतिक शिकार बना रही है।
न्यायमूर्ति ए.के. सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने पश्चिम बंगाल सरकार की दलील सुनने के बाद गुरुंग को राहत देने से इनकार कर दिया। सरकार ने गुरुंग के खिलाफ दर्ज 53 प्राथमिकी की एक सूची प्रस्तुत की और पीठ से कहा कि वह 24 अन्य मामलों में मुकदमे का सामना कर रहे हैं।
जीजेएम नेता ने एक अलग गोरखालैंड राज्य की मांग कर रहे समर्थकों की कथित हत्याओं के मामले में स्वतंत्र जांच की भी मांग की थी।
सर्वोच्च न्यायालय ने 20 नवंबर को पश्चिम बंगाल पुलिस को गुरुं ग के खिलाफ किसी भी तरह का कदम उठाने से रोक दिया था।
–आईएएनएस
और भी हैं
भारत में पेट्रोलियम की कीमत दुनिया में सबसे कम: केंद्रीय मंत्री
जीआईएस 2025 में आतिथ्य का नया आयाम : भोपाल में पहली बार टेंट सिटी
500 गीगावाट की रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए यूनिक इनोवेशन की आवश्यकता: मनोहर लाल