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सीईआरएन वैज्ञानिक ने प्रवासी भारतीय पुरस्कार भारतीय छात्रों को समर्पित किया

नई दिल्ली| सीईआरएन की वरिष्ठ वैज्ञानिक अर्चना शर्मा ने अपने प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार को भारत के छात्रों को समर्पित करते हुए कहा कि उनकी भारतीय जड़ें और परवरिश ने उन्हें एक परिवार के रूप में दुनिया की सेवा करने में मदद की है। अर्चना शर्मा प्रवासी भारतीय सम्मान पाने वाले उन 27 लोगों में शामिल हैं, जिन्हें इस साल इंदौर में 8 से 10 जनवरी तक होने वाले 17वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा सम्मानित किया जाएगा।

यूरोपियन ऑर्गनाइजेशन फॉर न्यूक्लियर रिसर्च को सीईआरएन के नाम से भी जाना जाता है। सीईआरएन में 30 सालों से अधिक समय से काम कर रहीं शर्मा ने कहा, मैं विनम्र महसूस करता हूं कि भारत की सरकार और लोगों ने मेरे बारे में इतनी दयालुता से सोचा। एक वैज्ञानिक के रूप में अपने काम में, मैंने दुनिया की सेवा की है।

शर्मा पहली बार 1987 में एक कार्यशाला में भाग लेने के लिए झांसी से सीईआरएन आई थीं और तब से वह ब्रह्मांड की उत्पत्ति की खोज के लिए सबसे संवेदनशील डिटेक्टरों में से एक म्यूऑन डिटेक्टरों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

शर्मा उस टीम का हिस्सा भी रही हैं जिसने साल 2012 में प्राथमिक पार्टिकल हिग्स बोसोन की खोज की थी और उच्च ऊर्जा भौतिकी में अनुसंधान के लिए गैसेस डिटेक्टरों पर उनके काम के लिए विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त है। साल 2017 में भारत के सर्न का सदस्य राज्य बनने के बाद, शर्मा समन्वय सहयोग के अलावा वहां भारतीय इंटर्न का मार्गदर्शन कर रही हैं।

शर्मा ने अपने बयान में लिखा, मैं इस पुरस्कार को भारत के छात्रों को इस विश्वास के साथ समर्पित करती हूं कि विज्ञान के क्रेडल को न केवल भारत के लिए, बल्कि दुनिया के लिए समर्पित रूप से आगे बढ़ाया जाएगा। शर्मा के मुताबिक, सीईआरएन में कुल 130 भारतीय पंजीकृत हैं।

शर्मा ने ट्वीट करते हुए लिखा कि मैं प्रवासी भारतीय सम्मान से सम्मानित होने के लिए बहुत सम्मानित महसूस कर रहा हूं, यह बहुत खुशी का पल है। आपके द्वारा दिए गए जबरदस्त समर्थन के लिए मेरी यात्रा का हिस्सा बनने वालों को धन्यवाद, सबसे महत्वपूर्ण बात, भारत को धन्यवाद!

बीएचयू वाराणसी से परमाणु भौतिकी में स्नातक की डिग्री के बाद, शर्मा ने 1989 में दिल्ली विश्वविद्यालय से पार्टिकल भौतिकी से पीएचडी की। इसके बाद 1996 में उन्होंने जिनेवा विश्वविद्यालय से इंस्ट्रमेंटेशन फॉर हाई एनर्जी फिजिक्स डी एससी किया।

–आईएएनएस

 

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