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सोचा नहीं था इतना चलेगा सीआईडी : शिवाजी साटम

 

शिखा त्रिपाठी,

नई दिल्ली। लोकप्रिय टेलीविजन धारावाहिक ‘सीआईडी’ बीते 21 जनवरी को 19 वर्ष पूरे कर चुका है। देश में किसी धारावाहिक के लगातार प्रसारित होते रहने की यह सबसे लंबी अवधि है। धारावाहिक के मुख्य किरदार (एसीपी प्रद्मुमन) और किरदार में एक ही कलाकार की भी यह सबसे लंबी पारी है, जिसे दिग्गज अभिनेता शिवाजी साटम निभा रहे हैं।

 

धारावाहिक की पहली कड़ी का पहला प्रसारण टेलीविजन चैनल सोनी पर 21 जनवरी, 1998 को हुआ था, और बीते 22 जनवरी को यह अपने प्रसारण के 20वें वर्ष में प्रवेश कर गया है।

 

शिवाजी ने आईएएनएस के साथ विशेष बातचीत में मुंबई से फोन कहा, “छोटे पर्दे की लंबी श्रृंखला का हिस्सा बनकर बहुत अच्छा लग रहा है। यह धारावाहिक यहां तक पहुंच गया, गर्व होता है कि हमने जो यात्रा शुरू की थी, इतनी लंबी चल रही है।”

 

इतना लंबा धारावाहिक और इतना लंबा किरदार, फिर भी दर्शकों का उतना ही प्यार? क्या किसी ने सोचा था कि ऐसा होगा? इस सवाल के जवाब में शिवाजी साटम कहते हैं, “कम से कम मैंने तो कभी नहीं सोचा था कि यह धारावाहिक इतना लंबा चलेगा। लगता था कि ज्यादा से ज्यादा दो साल चलेगा। लेकिन जैसे-जैसे शो चलने लगा लोगों का विश्वास बढ़ने लगा। फिर लगा कि दो साल और चलेगा। आज इसमें काम करते-करते लगभग 20 साल हो गए हैं।” साटम इसका श्रेय निर्देशन, निर्माता, लेखक बी.पी. सिंह को देते हैं, “इसका पूरा श्रेय उन्हीं को जाता है, जिन्होंने पूरी टीम खड़ी की, पूरा विषय बनाया।”

 

जासूसी पर आधारित ‘सीआईडी’ के लेखक बृजेंद्र पाल सिंह (जिन्हें बी.पी. सिंह भी कहते हैं), श्रीराम राघवन, श्रीधर राघवन, रजत अरोड़ा हैं। जबकि निर्देशन की जिम्मेदारी बृजेंद्र पाल सिंह, राजन वाघधरे, सीबा मिश्रा, संतोष शेट्टी, सलिल सिंह, नितिन चौधरी संभाल रहे हैं। इसके निर्माता शाश्वत जैन, राजेन्द्र पाटील, और विकास कुमार हैं।

 

धारावाहिक के संपादकों में केदार गोतागे, भक्ति मायालो, सचीन्द्र वत्स हैं, और छायांकन बृजेंद्र पाल सिंह, राकेश सारंग के जिम्मे है।

 

धारावाहिक का निर्माण कार्य मुंबई में शुरू हुआ और प्रमुख रूप से अभी भी काम मुंबई में ही होता है। लेकिन इसकी शूटिंग दिल्ली, जयपुर, कोलकाता, मनाली, चेन्नई, शिमला, जोधपुर, जैसलमेर, गोवा, पुणे, औरंगाबाद, कोल्हापुर, हिमाचल प्रदेश, केरल और कोच्चि जैसे स्थानों पर भी होती रहती हैं।

 

इतने लंबे समय तक एक ही किरदार से ऊबन नहीं होती? साटम कहते हैं, “बिल्कुल नहीं, बल्कि मुझे मजा आता है। इसमें ऊबन का समय ही नहीं मिला और अगर ऐसा होता तो दो-तीन साल में छोड़ देता और मैंने आज तक मन को न भाने वाली भूमिका नहीं निभाई। सिनेमा में भी काम किया है तो पसंद की भूमिकाएं ही की है।”

 

इतनी लंबी अवधि के दौरान कुछ खट्टी-मिठी यादें भी रही होंगी? साटम कहते हैं, “सभी यादें मिठी हैं। यह देखने का नजरिया है, जिंदगी को अच्छे मन से स्वीकार लो। उससे जितनी खुशियां मिल सकती हैं ले लो, बाकी छोड़ दो। खट्टी यादें निजी जिंदगी में होती हैं।”

 

‘सीआईडी’ के खाते में कई बातें पहली बार हैं। यह टीवी पर पहला फिक्शन आधारित पुलिस-जासूसी शो है। सबसे लंबा चलने वाला शो (19 साल) है और बगैर किसी कट के 111 मिनट का सबसे लंबा शॉट भी इसके नाम है, जिसके लिए धारावाहिक का नाम गिनीज बुक में दर्ज हो चुका है।

 

उन्होंने कहा, “2006 में एक हिंदुस्तानी धारावाहिक गिनीज बुक में दर्ज हुआ। इससे बड़ी खुशी की बात और क्या हो सकती है। इसीलिए इस पर गर्व है।”

 

धारावाहिक में एसीपी प्रद्युमन पिछले 19 वर्षों से शत-प्रतिशत आपराधिक मामले सुलझाने वाले सबसे सफल पुलिस अफसरों में से एक हैं। उन्हें मजबूत इरादों वाले समर्पित और ईमानदार ‘सीआईडी’ इंस्पेक्टर के रूप में जाना जाता है।

 

लेकिन सीआईडी की यह जांच आखिर खत्म कब होगी? सीआईडी कभी रिटायर भी होगा? साटम ने मजाकिया अंदाज में कहा, “जब तक ऊपर वाला सीआईडी देखना बंद नहीं करता, जांच जारी रहेगी। हम यही कहते हैं कि सीआईडी देखकर प्रत्येक सप्ताहांत में ऊपर वाला भी खुश होता है।”

 

फिर भी धारावाहिक के समापन की कोई समय सीमा तो होगी? उन्होंने कहा, “यह चैनल वालों की व्यापारिक रणनीति पर निर्भर करता है। इसका समय कभी रात 10.30 भी हो जाता है, कभी 10.50 भी। नए-नए धारावाहिक आते हैं तो उनके प्रचार में थोड़ी दिक्कत आती है।”

आप मराठी रंगमंच से हैं, अभी वहां कितना सक्रिय हैं? “अभी तो मैं उस ओर ध्यान नहीं दे पा रहा हूं, लेकिन देखने जरूर जाता हूं। यहां तक कि कॉलेज में देखने जाता हूं, कॉमेडी शो देखने जाता हूं, बहुत मजा आता है। बच्चों की ऊर्जा देखकर प्रेरणा भी मिलती है।”

 

उन्होंने कहा, “मराठी रंगमंच छूटा नहीं है। चाहे आप इस तरफ बैठें या उस तरफ। क्योंकि अगर दर्शक नहीं होंगे तो नाटक नहीं होगा और नाटक नहीं होगा तो दर्शक नहीं होंगे।”

 

रंगमंच, टीवी, फिल्म और अबतक के अभिनय कॅरियर पर संतोष व्यक्त करते हुए साटम ने कहा, “मैं काफी हद तक संतुष्ट हूं। रंगमंच के लिए वक्त नहीं है, इसमें काफी वक्त चाहिए, इसलिए दर्शक दीर्घा में बैठकर मन बहला लेता हूं।”

 

साटम को सीआईडी में उनके अलग अंदाज के लिए जाना जाता है। वह कहते हैं “दया..यहां कुछ तो गड़बड़ है”।

 

साटम के कॅरियर में आखिर मील का पत्थर भी तो कुछ होगा? उन्होंने कहा, “जिस-जिस को मंच पर देखा, उनके साथ काम करने का मौका मिला। अच्छे-अच्छे कालाकरों, निर्देशकों के साथ काम करते हुए आज यहां पहुंचा हूं। शिक्षा रंगमंच से मिली और हर किरदार, फिल्म, और नाटक को मैं मील का पत्थर मानता हूं।”

 

साटम अपने विनम्र और जमीन से जुड़े स्वभाव के भी जाने जाते हैं। वह कहते हैं, “जो हूं, ऐसे ही हूं। जब रंग लगाकर कैमरे के सामने आता हूं, अलग होता हूं, क्योंकि मैं इस तरफ हूं आप दूसरी तरफ। दोनों के बगैर काम नहीं चलेगा। कोई ऊपर से नहीं गिरा हूं, आम आदमी हूं। मैं यही कहता हूं कि प्यार, दुआएं मिलने की वजह से मुझमें और आपमें थोड़ा फर्क है।”

(आईएएनएस)

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