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New Delhi: The Committee of Chief Ministers on digital payment led by Andhra Pradesh Chief Minister Chandrababu Naidu presents Interim Report to the Prime Minister Narendra Modi in New Delhi on Jan 24, 2016. (Photo: IANS/PIB)

‘50,000 रुपये से अधिक नकद लेनदेन पर लगे कर’

 

नई दिल्ली। डिजिटल भुगतान पर गठित मुख्यमंत्रियों की समिति ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपी अपनी अंतरिम रिपोर्ट में 50,000 रुपये से अधिक नकद लेनदेन पर कर लगाए जाने की सिफारिश की है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की अध्यक्षता वाली मुख्यमंत्रियों की समिति ने डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए ढेरों सिफारिशें की हैं, जिनमें क्रेडिट कार्ड भुगतान पर बैंकों द्वारा लिए जाने वाले कर को हटाए जाने, आय के तय अनुपात में डिजिटल भुगतान करने वाले ग्राहकों को कर वापसी और स्मार्टफोन पर 1,000 रुपये की छूट दिए जाने की सिफारिशें शामिल हैं।

 

मुख्यमंत्रियों की इस समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, “बड़े लेनदेन के मामले में नकदी के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए 50,000 रुपये से अधिक के लेनदेन पर बैंक द्वारा कर लगाया जाए। हर तरह के बड़े लेनदेन में नकदी के लेनदेन की अधिकतम सीमा तय की जाए।”

 

प्रधानमंत्री को अंतरिम रिपोर्ट सौंपने के बाद नायडू ने संवाददाता सम्मेलन कर रिपोर्ट की मुख्य बातें रखीं।

 

रिपोर्ट में आधार कार्ड के इस्तेमाल पर खास जोर दिया गया है और कहा गया है कि बैंकों द्वारा केवाईसी फॉर्म में आधार कार्ड नंबर को प्राथमिक पहचान चिह्न बनाया जाना चाहिए और इस संबंध में मौजूदा आधार कानून का इस्तेमाल किया जा सकता है।

 

रिपोर्ट में यह भी दर्शाया गया है कि डिजिटल भुगतान के मामले में भारत दूनिया में कितना पीछे है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जहां चीन में हर 10 लाख व्यक्तियों पर डिजिटल भुगतान के 16,602 जगहें हैं, मेक्सिको में 7,189, ब्राजील में 25,241 और सिंगापुर में 31,096 पे पाइंट हैं, वहीं भारत में हर 10 लाख लोगों पर सिर्फ 1,080 डिजिटल भुगतान के केंद्र हैं।

 

समिति द्वारा की गई सिफारिशों में व्यापारियों को डिजिटल भुगतान स्वीकार करने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से संभावित करों में राहत देना तथा माइक्रो एटीएम के लिए करों में प्रोत्साहन देना भी शामिल है।

 

समिति ने डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए दिशा-निर्देशों में भी बदलाव की सिफारिश की है।

 

यह समिति बीते वर्ष नोटबंदी की घोषणा के बाद नवंबर में गठित की गई थी। समिति का उद्देश्य पारदर्शिता लाने के लिए डिजिटल लेनदेन प्रणाली को प्रोत्साहन देना, वित्तीय समावेशन और इस संबंध में एक रूपरेखा तैयार करना था।

(आईएएनएस)

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