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पांच जिगरी दोस्तों की कहानी है ‘तू है मेरा संडे’

 

एस.पी. चोपड़ा, नई दिल्ली। संडे, यानी छुट्टी का दिन। संडे का नाम सुनते ही आंखों में एक चमक-सी आ जाती है। इस अहसास को तरोताजा करने और पर्दे पर 6 अक्टूबर को एक फिल्म आपके करीबी सिनेमाघरों में आ रही है, जिसका नाम है ‘तू है मेरा संडे’। फिल्म का टाइटल जितना अलग है, उतनी ही खूबसूरत है इस फिल्म की कहानी, क्योंकि इस फिल्म का संडे से बेहतरीन कनेक्शन है।

मिलिंद धइमडे के निर्देशन में बनी इस फिल्म में बरुण सोबती, शहाणा गोस्वामी, रसिका दुग्गल, अविनाश तिवारी, विशाल मल्होत्रा, नकुल भल्ला और जय उपाध्याय जैसे सितारे प्रमुख भूमिकाओं में हैं और इसी फिल्म के प्रमोशन के लिए इसके डायरेक्टर और सितारे पिछले दिनों दिल्ली में थे, जहां उन्होंने मीडिया के साथ दिल खोलकर बातें कीं।

दरअसल, यह फिल्म पांच जिगरी दोस्तों की कहानी है। सभी की जिंदगी के किस्से अलग-अलग हैं और सभी कहीं-न-कहीं काम कर रहे हैं, लेकिन एक चीज है, जो इन्हें जोड़ती है और वह है फुटबॉल के लिए इनका प्यार।

जी हां, हर रविवार को ये पांचों दोस्त समय निकालकर मुबंई के जुहू बीच पर एक साथ फुटबॉल खेलते हैं, लेकिन एक दिन कुछ ऐसा होता है कि पांचों के चेहरे और जिंदगी में मायूसी छा जाती है। एक नामी-गिरामी राजनेता के सिर पर इनकी फुटबॉल से चोट लग जाती है, जिसके बाद से जुहू बीच पर किसी भी तरह के खेल को बैन कर दिया जाता है। अब इसके बाद पांचों के लिए एक ऐसी जगह ढूढ़ना मुश्किल हो जाता है, जहां वे शांति से फुटबॉल खेल सकें। 

उल्लेखनीय है कि इस फिल्म का आइडिया डायरेक्टर मिलिंद धइमडे को अपने दोस्तों की समस्याएं देखने के बाद दिमाग में आया और उन्होंने इस समस्या को फिल्म का रूप देने का निर्णय कर लिया। इस फिल्म के लिए सितारों के चसन के बारे में पूछने पर मिलिंद धइमडे ने कहा कि यह कहानी आमलोगों की दैनिक जीवन से जुड़ी है, ऐसे में हमारा मानना था कि इसके लिए वैसे ही कलाकारों का चयन किया जाए, जो इसकी कहानी के साथ न्याय कर सकें।

इसके सभी किरदार ही कहानी की मूल आत्मा भी हैं, सो मैंने अपना वक्त और अपनी ऊर्जा कलाकारों की तलाश और उनके चयन में ही झोंक रखी थी। मुझे खुशी है कि मेरी यह यात्रा उम्दा कलाकारों की तलाश के साथ ही खत्म हुई। हम गर्व के साथ कह सकते हैं कि फिल्म के सभी कलाकारों ने पूर्ण समर्पण, निष्ठा एवं गंभीरता से अपना सौ फीसदी दिया है, जिसके कारण हम एक उम्दा फिल्म बना पाने में कामयाब हो पाए।

मानवी गागरू इस फिल्म में अहम किरदार निभा रही हैं। उनसे जब उनके परफेक्ट इतवार के बारे में पूछा गया,तो उन्होंने बताया कि मेरा परफेक्ट संडे वह होता है, जब मुझे कोई काम नहीं करना पड़ता और मैं घर पर पूरी तरह से आराम के मूड में होती हूं। जबकि फिल्म की लीड अभिनेत्री सहाना गोस्वामी ने बताया कि अपने परफेक्ट संडे के दिन मैं दो-तीन फिल्में देखकर खुद को रिलैक्स करती हूं। विशाल मल्होत्रा ने कहा कि मेरा परफेक्ट संडे केवल एक दिन नहीं है, बल्कि यह खुशियों भरा दिन होता है, या फिर जिस दिन मैं अपने मनमुताबिक खुशियां बटोर सकूं।

इस फिल्म की सबसे बड़ी खासियत क्या है, पूछने पर फिल्म के लीड एक्टर बरुण सोबती ने कहा कि इस फिल्म के जॉनर को एक शब्द में कैद का पाना असंभव है। दरअसल, यह फिल्म आमलोगों के जीवन से जुड़ी है और यही वह वजह भी है कि जहां कहीं भी फिल्म का प्रमोशन हुआ, समाज के हर वर्ग के लोगों के चेहरे पर शांतिमय मुस्कान नजर आई। इस फिल्म के निर्माण के पीछे की सोच भी लोगों के मुरझाए चेहरों पर मुस्कान लाना था। ऐसे में हम कह सकते हैं कि हमने समाज के लिए एक बेहतर काम किया है और यही फिल्म की यूएसपी भी है।

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