प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना की पीठ ने कहा: समिति द्वारा रथ यात्रा में भाग लेने के लिए लोगों की न्यूनतम संख्या को अनुमति दी जाएगी। पुरी रथ यात्रा उत्सव की अवधि के दौरान हवाईअड्डों, रेलवे स्टेशनों, बस स्टैंडों आदि के सभी प्रवेश बिंदुओं को इस दौरान बंद कर दिया जाएगा।
शीर्ष अदालत ने 18 जून को कोरोनावायरस महामारी को देखते हुए एहतियात के तौर पर रथ यात्रा पर रोक लगा दी थी।
पीठ ने सोमवार को कहा कि राज्य सरकार उन सभी दिनों में पुरी में कर्फ्यू लगाएगी, जब रथ यात्रा निकाली जाएगी।
शीर्ष अदालत ने कहा है कि रथ यात्रा के दौरान पुरी में कर्फ्यू लगाया जाए। रथों को खींचने वाले यात्रा से पहले, यात्रा के दौरान और यात्रा के बाद भी सामाजिक दूरी (सोशल डिस्टेंसिंग) बनाए रखें। इसके अलावा कहा गया है कि हर रथ को 500 से ज्यादा लोग नहीं खींच सकते। दो रथों को खींचने के बीच में एक घंटे का अंतर होना चाहिए। इन सभी का कोरोनावायरस का टेस्ट होना चाहिए।
इसके अलावा रथ यात्रा और सभी रस्मों को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को कवर करने की इजाजत देने की बात भी कही गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि रथ यात्रा में आने वाले सभी लोगों का रिकॉर्ड रखा जाए और मेडिकल टेस्ट के बाद उनकी सेहत की जानकारी को भी दर्ज किया जाए।
इससे पहले 18 जून को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, अगर हमने इस साल रथ यात्रा की इजाजत दी तो भगवान जगन्नाथ हमें माफ नहीं करेंगे। महामारी के दौरान इतना बड़ा समागम नहीं हो सकता है।
हालांकि अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाले जाने की अनुमति मिलने के बाद श्रद्धालुओं में खासा उत्साह है।
–आईएएनएस
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