नई दिल्ली : ऑल इंडिया माइनॉरिटी फ्रंट के राष्ट्रीय अध्यक्ष एस एम आसिफ ने कहा है। कि कोरोना के कारण देश की अर्थव्यवस्था के व्यापारी बुरे दौर में जी रहे है।एक और तो कोरोना से उनका व्यापार उजड़ गया तो वहीं दूसरी ओर तरह तरह के लाइसेंसो का टैक्स उनके काम धंधों को बिल्कुल समाप्ति की और के जा रहा है। आसिफ ने कहा व्यापारी समुदाय खासकर बड़े शहरो के दुकानदारों को अभी कारोबारी सुगमता का लाभ नहीं मिल पा रहा है और व्यापारियों को केंद्र सरकार ,प्रदेश सरकार के अतिरिक्त स्थानीय निकायों (विशेषकर नगर निगम) एवं पुलिस प्रशासन के विभिन्न प्रकार के लाइसेंस को प्राप्त करना अनिवार्य है।
इन अनेको लाइसेंस लेने की प्रक्रिया इतनी जटिल है कि एक व्यापारी को सलाहकारों के माध्यम से ही यह सब लाइसेंस प्राप्त हो सकते है अन्यथा नहीं। इन सभी प्रक्रियाओं को पूरा करने में एक व्यापारी को औसतन औसतन पचास हज़ार से एक लाख रूपए तक प्रति वर्ष तक खर्च करने पड़ जाते है जिसमे सरकार को प्राप्त होने वाली कर की धनराशी बहुत कम होती है।
आसिफ ने केंद्र सरकार का ध्यान ट्रेड लाइसेंस के और आकर्षित करते हुई सूचित किया कि ट्रेड लाइसेंस जो राष्ट्र की विभिन्न नगर निगमों / नगर पालिकाओं द्वारा प्रदान किया जाता है। एक छोटी से छोटी दूकान खोलने के लिए किसी भी व्यापारी को नगर निगम से एक ट्रेड लाइसेंस लेना पड़ता है। जिस व्यापारी के पास पहले से ही कंपनी कानून या पार्टनरशिप कानून के तहत पंजीकरण है ,जीएसटी रजिस्ट्रेशन है,आयकर का पैन कार्ड है,फ़ूड सेफ्टी का लाइसेंस है,स्थानीय निकाय द्वारा जारी हेल्थ लाइसेंस (खाद्य वस्तु के दूकानदार के लिए ) शॉप एक्ट का पंजीकरण है, बैंको से ऋण प्राप्त किया हुआ है , बिजली / टेलीफोन के कनेक्शन है , इतने लाइसेंस लेने के बाद भी होने के भी दुकानदार को नगर निगम से ट्रेड लाइसेंस लेना पड़ता है। यधपि इस मद से इन स्थानीय निकायों को कोई भारी आय नहीं होती ,परन्तु एक व्यापारी के लिए यह एक उत्पीड़न भरा कार्य है और इसमें भ्रष्टाचार भी चरम सीमा पर होता है।
यहाँ एक महत्वपूर्ण बात यह है कि नगर निगम /नगर पालिकाओं द्वारा व्यावसायिक भवन या दुकानों पर संपत्ति कर वसूला जाता है जो रिहायशी क्षेत्र के मुकाबले लगभग 15 गुना ज्यादा होता है। जब एक व्यापारी या दुकानदार व्यावसायिक संपत्ति पर एक बढ़ा हुआ संपत्ति कर देता है तो ऐसे अवस्था में ट्रेड लाइसेंस की कोई आवश्यकता नहीं रह जाती। इसलिए ऑल इंडिया माइनॉरिटी फ्रंट की मांग है। कि देश के व्यापारियों कि इस समस्या का केंद्र सरकार तुरंत निवारण करे।
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