डॉ. वेदप्रताप वैदिक
पिछले चार दिन से मैं सोच रहा हूं कि क्या वजह है कि हमारे प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री ने चीन के विरुद्ध एक शब्द भी नहीं बोला जबकि भारत के आम लोगों का खून गरमाया हुआ है ? वे जगह-जगह चीन-विरोधी प्रदर्शन कर रहे हैं, मोदी के मित्र चीनी राष्ट्रपति शी चिन फिंग के पुतले जला रहे हैं, चीनी माल के बहिष्कार की मांग कर रहे हैं और चीन को सबक सिखाने की बात कह रहे हैं। हमारे 20 जवानों की अंतिम-यात्रा के दृश्य टीवी चैनलों पर देखकर दिल दहल उठता है।
हमारे नेताओं ने उनकी बहादुरी को सलाम किया और उन्हें श्रद्धांजलि दी, यह अच्छा किया लेकिन अभी तक सरकार ने स्पष्ट रुप से यह नहीं बताया कि भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच यह झड़प ठीक-ठाक कहां हुई, नियंत्रण रेखा से कितनी दूरी पर हुई और दोनों तरफ के सैनिकों के बीच ऐसी कौनसी बातें या कार्रवाइयां हुईं, जिनके कारण ऐसा कुछ हुआ, जैसा कि इस 3500 किमी की सीमा-रेखा पर पिछले 45 साल में कभी नहीं हुआ। भारत-चीन सीमांत की इस शांति या मर्यादा की मिसाल मैं हमेशा पाकिस्तान के राष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रियों और जनरलों को देता रहा हूं।
उनसे कहता रहा हूं कि कश्मीर के मामले में भी हम इस परंपरा का पालन क्यों नहीं करें ? अब संतोष की बात यही है कि दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने एलान किया है कि सीमा पर शांति बनाए रखी जाएगी और सारे मामले बातचीत से हल किए जाएंगे। इससे भी बड़ी पहेली यह है कि 15 जून की रात को शुरु हुआ यह खूनी संघर्ष सुबह 4 बजे तक चलता रहा और सुबह 7.30 बजे दोनों देशों के जनरल बातचीत करने बैठ गये। यह बड़ा रहस्य है। होना तो यह चाहिए था कि हमारे निहत्थे फौजियों की हत्या के बाद हमारी बंदूकें, तोपें और मिसाइल दगने शुरु हो जाने चाहिए थे। यदि चीनियों ने लाठियों में लोहे के कांटे लगाकर हमारे सैनिकों की हत्या की और सीमांत पर निहत्थे रहकर बात करने का समझौता भंग किया तो हमारी फौज क्या कर रही थी ? वह भी उसी तरह की लाठियां लेकर और कवच पहनकर वहां क्यों नहीं गई ? हमारे सैनिकों को चीनियों ने गिरफ्तार किया तो कहां से किया ? उनके क्षेत्र से किया या हमारे क्षेत्र से किया ? संसद में यह सब मांगें की जानी चाहिए और सरकार को पूरी जांच करके इसकी रपट देश के सामने पेश करनी चाहिए। हमारे एक-एक सैनिक की जान अमूल्य है।
अभी ठीक से यह भी पता नहीं कि कितने चीनी सैनिक मारे गए ? चीन प्रायः अपने मृत सैनिकों की संख्या बताता कम, छिपाता ज्यादा है। एक अमेरिकी जासूसी स्त्रोत के मुताबिक 40 चीनी सैनिक मारे गए हैं लेकिन एक भारतीय उपग्रह-बिम्ब विशेषज्ञ (सेटेलाइट इमेजेरी एक्सपर्ट) कर्नल भट्ट के अनुसार 15 जून को जहां यह मुठभेड़ हुई है, वह जगह चीन की तरफ 40 किमी अंदर थी, वास्तविक नियंत्रण रेखा (एल.ए.सी.) से ! यह सच है या झूठ ? इन सब रहस्यों के अनावरण के बाद ही हमें आगे की रणनीति बनानी होगी। भारत को यह रहस्य भी पता करना जरुरी है कि यह एक स्थानीय और अचानक घटना थी या यह चीनी नेताओं की सहमति से किया गया, ऐसा दुष्कर्म है, जिसके पीछे गहरी साजिश है।
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