✅ Janmat Samachar.com© provides latest news from India and the world. Get latest headlines from Viral,Entertainment, Khaas khabar, Fact Check, Entertainment.

श्रीदेवी सबसे बड़ी सुपरस्टार थीं लेकिन वह बहुत नाखुश महिला थीं: राम गोपाल वर्मा

मुंबई : दिवंगत अभिनेत्री श्रीदेवी को लेकर ‘ग्रेट रॉबरी’, ‘गोविंदा गोविंदा’ और ‘हैरान’ जैसी फिल्मों का निर्देशन कर चुके फिल्म निर्देशक राम गोपाल वर्मा का कहना है कि श्रीदेवी बहुत नाखुश महिला थीं और उनका जीवन इसका जीता जागता उदाहरण था कि किसी व्यक्ति का जीवन उसे देखने वाले की सोच से बिल्कुल अलग होता है।

श्रीदेवी (54) का निधन शनिवार को दुबई में एक होटल के बाथरूम में हो गया था। पॉस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, उनकी मृत्यु दुर्घटनावश बाथटब में गिरकर डूबने से हो गई थी।

निर्देशक ने निजी विचार लिखते हुए कहा कि श्रीदेवी देश की सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली महिला और सबसे बड़ी सुपरस्टार थीं, लेकिन यह कहानी का सिर्फ एक हिस्सा है।

वर्मा ने लिखा, “बहुतों के लिए श्रीदेवी का जीवन परिपूर्ण था। सुंदर चेहरा, महान प्रतिभा, देश की सबसे बड़ी स्टार और दो सुंदर बेटियों के साथ दूर से आदर्श दिखता उनका परिवार। दूर से यह सब देखकर लोग इस जीवन के सपने देख सकते हैं, इससे ईश्र्या कर सकते हैं. लेकिन क्या श्रीदेवी बहुत खुश इंसान थीं और क्या वह एक खुशनुमा जिंदगी जी रही थीं?”

वर्मा कहते हैं कि वह उनके जीवन को तबसे जानते हैं, जब वह अपनी पहली फिल्म ‘क्षण क्षणम’ के लिए उनसे मिली थीं।

उन्होंने लिखा, “मैंने अपनी आंखों से देखा था कि उनके पिता की मृत्यु तक उनका जीवन आकाश के एक पक्षी की तरह था और उसके बाद उनकी अतिसंरक्षित मां के कारण उनका जीवन पिंजड़े में बंद पंक्षी की तरह हो गया।”

वर्मा ने कहा कि ‘इंग्लिश विंग्लिश’ की हल्की चमक को छोड़ दें तो श्रीदेवी बहुत नाखुश जिंदगी जी रही थीं। उन्होंने अपनी जिंदगी में बहुत कुछ देखा था और बहुत कम उम्र में फिल्मी सफर शुरू करने के कारण जिंदगी ने उन्हें सामान्य गति से बढ़ने का वक्त कभी नहीं दिया।

राम गोपाल वर्मा ने सवाल करते हुए कहा, “बाहरी शांति से ज्यादा उनकी मानसिक अवस्था ज्यादा चिंतनीय थी। कई लोगों के लिए वह सबसे सुंदर महिला थीं। लेकिन क्या वह सोचती थीं वे सुंदर हैं?”

फिल्म निर्माताओं के लिए श्रीदेवी हमेशा बहुत शर्मीली, असुरक्षित महसूस करने वाली और कम आत्मविश्वास वाली अदाकारा थीं।

निर्देशक ने कहा, “उन्हें बहुत कम उम्र से प्रसिद्धि का स्वाद मिल गया था, जिसने उन्हें कभी आत्मनिर्भर होने का मौका नहीं दिया और वह नहीं बनने दिया जो वह वास्तव में बन सकती थीं या बनना चाहती थीं। वह कैमरे के सामने ही नहीं कैमरे के पीछे भी अभिनय कर रही थीं।”

उन्होंने कहा, “वे अपनी बेटियों के लिए चिंतित थीं। बावजूद कि उनकी बड़ी बेटी ‘धड़क’ फिल्म से बॉलीवुड में पदार्पण करने जा रही हैं और बॉलीवुड छोटी बेटी को भी अपना लेगा।”

वर्मा ने कहा, “श्रीदेवी अंदर ही अंदर जिस दर्द को जी रही थीं, मैं उस दर्द को उनकी आंखों में देख सकता था, क्योंकि वे वास्तव में महिला के शरीर में कैद एक बच्ची थीं। एक इंसान के तौर पर वह निष्कपट थीं और अपने कड़वे अनुभवों के कारण वहमी भी। इस दो गुणों का मिलन खतरनाक होता है।”

वर्मा ने कहा, “अब उनकी मौत पर आते हैं, सबसे ज्यादा संभावना इस बात की है कि हृदयाघात के बाद दुघटनावश टब में गिरने से उनकी मृत्यु हुई हो।”

उन्होंने कहा, “आत्महत्या और दुर्घटनावश मृत्यु ज्यादातर बड़े समारोहों में होती हैं, क्योंकि तनावग्रस्त और असुरक्षाग्रस्त व्यक्ति यह नहीं समझ पाता कि दुनिया इतनी खुश क्यों है और इतना आनंद क्यों उठा रही है लेकिन वे उस खुशी को महसूस करने में सक्षम नहीं होते हैं।”

उन्होंने कहा, “मैं सामान्य तौर पर किसी की मृत्यु के बाद यह नहीं कहता कि आपकी आत्मा को शांति मिले, लेकिन उनके मामले में मैं वास्तव में यह कहना चाहता हूं, क्योंकि मुझे पूरा विश्वास है कि जिंदगी में पहली बार उनको शांति मिली होगी।”

–आईएएनएस

About Author