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संस्कृत भाषा के उत्थान की एक अनूठी पहल करतीं सांसद मीनाक्षी लेखी

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नई दिल्ली: अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय परम्परा की समृद्ध संवाहिका ‘संस्कृत भाषा’ को एक नई  पहचान देने के लिए इन दिनों जुटी हुई दिखाई देती हैं नई दिल्ली से सांसद  ‘मीनाक्षी लेखी’| भाजपा  सांसद मीनाक्षी लेखी ने जब १६वीं  लोक सभा में  संस्कृत भाषा  में शपथ पत्र पड़ा तो उनका संस्कृत के प्रति महान उत्साह तो देश ने देखा ही पर संस्कृत को जनमानस तक पुन: किस प्रकार लोकप्रिय बनाया जाए इसी को ध्यान में रखते हुए मीनाक्षी लेखी ने हाल ही में एक ‘म्यूजिकल संस्कृत कंसर्ट’ का आयोजन भी  किया|

मीनाक्षी लेखी द्वारा होली की पूर्व  संध्या पर बनाये गए एक अंतर्राष्टीय मंच ”इंटरनेशनल फोरम ऑफ़ ट्रू लवर्स ऑफ़ इंडिया, संस्कृत, हिंदी एंड योगा” की तरफ़  से आयोजित ‘म्यूजिकल संस्कृत कंसर्ट’ यह सबसे पहला कार्यक्रम था|  यह एक ऐसी शाम थी जहाँ पर न केवल दिल्ली के ही लोग थे बल्कि विदेशों  से भारत के प्रति सविशेष स्नेह रखने वाले भी अनेक लोगों ने शिरकत की| इस कंसर्ट  में बल्गारिया स्थित सोफ़िया विश्वविद्यालय की वरिष्ठ संस्कृत हिंदी विदुषी ‘प्रो. मिलेना  ब्रतोएवा’ थी तो वहीं ऑस्ट्रेलिया से भारत आये ‘चार्ल्स थॉमसन’ भी थे| कंसर्ट में हंगरी से ईवा भी जुडी जो की दिल्ली में योग की पढाई कर रही हैं|

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इस सांगीतिक संध्या को सबसे अधिक यादगार बनाया स्वीडन से आयी ‘आनन्दा  हिमानी’ ने| पेशे से स्वीडन में  न्यूरो साइंस और कार्डियोलॉजी पड़ने के बाद नर्स बनी आनन्दा  हिमानी विगत १५ वर्षों से भारतीय संस्कृति को आत्मसात्  कर चुकी हैं| आनन्दा  हिमानी ने इस भव्य सांगीतिक संध्या में सर्वप्रथम ‘वैदिक स्वस्तिवाचन’ प्रस्तुत कर वैदिकी संस्कृति का महान उद्घोष किया|अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त युवा सीतार वादक ‘ध्रुव वेदी’ ने राग कल्याण में सुमधुर कृष्ण स्तुति प्रस्तुत कर उपस्थित जन समूह को संगीत रस में भावविभोर किया।

आनन्दा  हिमानी ने जैसे ही प्रख्यात संस्कृत युवा सुकवि युवराज भट्टराई द्वारा विरचित ‘सरस्वती स्तवन’ को मधुरकंठ से स्वरबद्ध किया वैसे ही यह सुर सन्ध्या सुरभित होने लगी| यही नहीं आनन्दा  हिमानी ने हाल ही में निर्वाण प्राप्त कामकोटि स्थित जगत्गुरु शंकराचार्य को श्रद्धांजलि देते  हुए अद्वैत प्रवर्तक आदि गुरु शंकराचार्य निबद्ध ‘निर्वाण षट्कम्’ की अनुपम प्रस्तुति भी दी| संस्कृत गायक नरेन्द्र सेमवाल तथा गायिका रामेश्वरी शर्मा ने ”दो दिल मिल रहे हैं”,”एक प्यार का नगमा है”, “जिंदगी प्यार का गीत है”, “कोरा कागज़ था ये दिल मेरा” जैसे  हिन्दी फिल्मी गीतों को संस्कृत में प्रस्तुत किया जिससे उपस्थित जनमानस अत्यधिक आनन्दित हुआ।

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तबले पर महेश्वर जीना और की-बोर्ड पर भुवन ने संगत की| संस्कृत,योग,आयुर्वेद, प्राच्यविद्या आदि के संवर्धन में तत्पर ‘स्वस्तिवाचनम्’ संस्था के इन दैशिक-वैदेशिक संगीत कलाकारों ने अपनी अद्भुत प्रस्तुति से  देश की राजधानी के लोगों के हृदय को दिव्यता, भव्यता और नव्यता से भारतीय वैभवशाली परम्परा के प्रति पुनः उर्जित किया|

सांसद मीनाक्षी लेखी के बनाये ”इंटरनेशनल फोरम ऑफ़ ट्रू लवर्स ऑफ़ इंडिया, संस्कृत, हिंदी एंड योगा” इस मंच से बहुत ही कम समय में  अभी तक ६० से अधिक देशों से विदेशी भारत प्रेमी लोग जुड़ चुके हैं| मीनाक्षी लेखी स्वयं तो विज्ञान और लॉ की पढाई की है पर इनके दोनों पुत्र कठोपनिषद्  तथा ईशोपनिषद्  जैसे महत्वपूर्ण संस्कृत उपनिषदों को प्रतिदिन पढ़ते  हैं|

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