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सुशांत की विरासत का विस्तार करता है ‘खुलके जीने का’ गाना: शशा तिरुपति

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नई दिल्ली: सुशांत सिंह राजपूत ने अपनी आखिरी रिलीज फिल्म ‘दिल बेचारा’ में खुद पर फिल्माए गीत ‘खुलके जीने का’ में जिंदगी का जश्न मनाया है। गाने को अपनी आवाज देने वाली शशा तिरुपति को लगता है कि सकारात्मकता से प्रभावित इस गाने में दिवंगत अभिनेता की विरासत का विस्तार हुआ है।

शशा ने आईएएनएस से दिवंगत अभिनेता के बारे में कहा, “मैं काफी लंबे समय से चाह रही थी कि मैं वास्तव में सुशांत सिंह राजपूत अभिनीत फिल्म के लिए गाना गाउं और ऐसा नहीं हुआ। मैं इस बात से पूरी तरह से बेखबर थी कि ‘दिल बेचारा’ में वह मुख्य भूमिका में थे। जब उनके निधन की खबर आई और मैंने सोशल मीडिया के माध्यम से इस बारे में पढ़ा तो मैंने पढ़ा कि ‘दिल बेचारा’ उनकी आखिरी फिल्म थी।

उन्होंने आगे कहा, “मुझे उस पल बहुत धक्का लगा। शुरुआत में यह बहुत भावुक था, लेकिन फिर एक वक्त पर मुझे लगा कि इस गाने के बोल, जिसमें ‘खुलके जीने का तरीका तुम्हे दिखाते हैं’ बस इस बोल में ही सुशांत की विरासत का विस्तार देखा जा सकता है।”

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एआर रहमान द्वारा कंपोज्ड और अमिताभ भट्टाचार्य द्वारा लिखित इस गीत को अरिजीत सिंह और शशा ने गाया है।

उन्होंने आगे कहा, “यह उन गीतों में से एक है, जिन्हें आप हमेशा वापस सुनना चाहते हैं। जब आप इसे सुनते हैं, तो आप आश्चर्य करेंगे कि इसे लेकर उन्हें (रहमान) कैसे यह विचार आया। संगीत का सामंजस्य, सूर-ताल बस एक-दूसरे को इतनी खूबसूरती से और व्यक्तिगत रूप से गले लगाते हैं। मैं अमिताभ भट्टाचार्य के काम की बहुत बड़ी प्रशंसक रही हूं।”

–आईएएनएस

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